Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 36
________________ [31] ताणं तवोविहाणं चरणं करणं [च] चेई (इ) यं बिंबं । चंदप्पहासखित्ते (त्तं ? ) मिव हेऊ आपुढत्तम्मि | चंदप्पहासज्झयणं ॥ छ ॥ ते णं काले णं ते णं समए णं दक्षिणावहे भगव (वं) ते चंदप्प [ ]म्म समोसढे पाइवनुगुणेण (?) नासिक्करं । गोवद्धणे वंदणट्टाए समागए । इत्थ गोयमा ! सदेवमणुयासुरम ( स ) हाए गावी आगच्छित्ता नियकम्मं पुच्छइ । भा(भग) वया सद्दावित्ते रक्काइ कागिणीए जं चरि (र) णं पुव्वभवतवे वे(?) (चे ?) कए, तेण बहुकम्मेणं नवमे पुव्वभवे तिरियगंठी । आसन्नमसव (? भव ? ) बद्धं कम्मं वे (चे?) दासत्तं तिरियत्तं भिक्खुत्तं पावए य रिणी । एवं पडिवोहिया अणसणेणं अट्ठारसहिं दिणेहिं वेमाणिया जाया । राया वि निक्खमिऊणं बंभलोए कप्पे [दे] विंदो जाऊ (ओ)। तेण वेलाए कारियं । जत्थ कीलइ तत्थ व( बं) भगिरी भन्नइ । जीवंतसामिपडिमा मज्झे रयणपडिमा । तत्थ समए गावी अमय (यं) झरंती, एयाए गोदावरी सारणी जीया । तउ कमेणं [पवण ]जय भारिया अंजणाए आराहिङ, तीसे जिन्नुद्धारो । तउ राम-लक्खण-सीयाए चउरो वरिसा आराहियं । तउ कइया वि हत्थिणाउरे देवीए कुंती पुत्ते सद्दावित्ता ए अग्ने (ग्गे) या पवेसाणकालं ( ? ) । नारयरिसिणा पुव्वभवनिवेयणो (णे?) तिन्निरुय (६?) सद्धि वंदिए । चउत्थं काऊणं चंदप्पहसेवणेणं ( जुहिट्ठि) ले जाए । वउ सीलप्पभावेणं विइल्लेवावणेणं सया पूई (इ) यं । उद्धरियं पंडवेहि वारसमे वरिसे जदूकोरियच्चा (?) । तत्थ जालामालिणी सासणदेवी उववन्ना । तव्वसेणं जीवंतसामिपडिमा उववन्नगपइट्ठिया सिरिसमणसंघे [णं ], तद्दिणाउ आरब्भ उदिउदियमाहप्पं चक्कि बलदे[व] वासुदेवपूयणिज्जं । जाव हरी राया । एवं असंखउद्धारा । तउ परं हरिवंसुब्भवेहिं उद्धरियं चेईयं पडिमा वि समुद्धरिया । तउ पंडवेहिं पूइज्माणा चेड़गनरिंदे हि (णं) उद्धरिया । अउ परं कन्हदेवेण एय वज्झावहसम्स (?) अरयस्स वीस सहस्से वियक्कंते सयं देवीमज्झाउ चंदप्पहपडिमं गिहिऊण नियभुवणे गिहिस्सइ । अयर नव कोडीसयं छावट्ठा (ट्ठी) लक्खा छव्वीसं सहस्स (स्सा) जाव एयं तित्थं विज्जाहरनमंसियं विज्जानय चक्कवालहेउं विजयजक्खyss तित्थ( त्थ ) हेसो ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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