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'आंबुलु' शब्द उपरनुं व्यासनुं टिप्पण आ प्रमाणे छे : 'आंबुलु' = प्रियतम, स्वामी (< अप. 'अंब' + 'ल'). सरखावो : कोइल सरिखी स्त्री नही, जस मन इसिउ विवेक, अंबविहूणी अवरसिउं, बोल न बोलइ एक । ('प्राचीन सुभाषितो', 'भारतीय विद्या, ३, १, पृ. १७६). 'अम्ह सरिस म बोलीसि आमला' ('प्रबोधचिंतामणि', 'प्राचीनगुर्जर काव्य', पृ. १२०) । 'अंबणु लाइवि जे गया, पहिअ पराया के वि.' (सिद्धहेमचंद्र, ८-४-३७६) ।।
आमांथी पहेला उद्धरणमां अंबविहूणी' शब्द द्विअर्थी छे : 'आंबा वगर' अने 'प्रियतम वगर'. बीजा उद्धरणमां 'आमला' शब्द 'प्रियतम'ना अर्थमां छे के 'मरडाट वाळां, द्वेष के खार वाळां वचन' एवा अर्थमां छे ते हं संदर्भ जोईने चोक्कस करी शक्यो नथी । त्रीजा उद्धरणमां 'अंबण'नो अर्थ 'दोधकवृत्ति'मां 'अम्लत्व, स्नेह' एम आप्यो छे।
आ नोंधनो हेतु 'आंबुला' शब्द उपर्युक्त अर्थमां जूनी मराठीमां मळे छे ए हकीकत तरफ ध्यान दोरवानो छे.
__ मराठी संतभक्त कवि 'ज्ञानेश्वरी'कार ज्ञानदेवने नामे मळती 'ज्ञानेश्वरी गाथा' ए कृति (जेमांनी केटलीक रचनाओ ज्ञानदेवनी नहीं, पण तेमने नामे चढेली पछीना केटलाक कविओनी रचना होय)मां 'अंबुला' के 'दादुला' (= प्रियतम)नामनां गीतो छे. नीचेनी पंक्तिओमां ए शब्दप्रयोग मळे छ :
'अंबुला माहेरी भोगि घणीवरी,
मग तया श्रीहरी सांगो गज । (महियरमां में मारा पति साथे घणा भोग भोगव्या अने पछी में ए गुह्य श्रीहरिने कह्यु.)
आ माहिती अने उद्धरण में Catherina Kiehnle ना निबंध Metaphors in the Jhanadev Gathā ए लेखने आधारे आपेल छे । (Studies in South Asian Devotional Literature, संपादको : एन्टविसल अने मालिझों, १९९४, पृ. ३१०-३११). किन्लेए 'ज्ञानेश्वरी गाथा' ना केटलाक भागनो अनुवाद प्रकाशित करेल छे (Texts and Teachings of the Mahārāstrian Nath Yogis तथा A Garland of Songs on Yoga, 1994).
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