Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[82] अर्थ :- 'ए चेलाने कियाडियाथी पकडीने माथा पर टुंबो मारीने.....'
अहीं कियाडिया = सं कृकाटिका. ए देश्य नहीं, तद्भव शब्द छे. कृकाटिका एटले हेमचंद्रार्ये 'अभिधानचिंतामणि'मां का छे तेम शिरःपीठ-एटले के 'डोक अने माथानी संधिनो पाछलो भाग.' कृकाट शब्द ए अर्थमां 'अथर्ववेद'मां (९, ७, १), कृकाटी वराहमिहिरकृत 'बृहत्संहिता'मां (२, ९) अने कृकाटिका सुश्रुतमां मळे छे.
'व्यवहारभाष्य'ना उपर आपेला उद्धरणमां खडुक्का शब्द खडुग, खडुहा, खड्डया एवां रूपांतरे आगमसाहित्यमां वपरायो होवा- 'देशी शब्दकोश'मां नोंध्युं छे. 'जीतकल्पभाष्य'मां कण्णामोड-खडुहा-चवेडादी एवो प्रयोग छे, त्यां 'कान आमळवो, टाकर मारवी, थप्पड मारवी' एवा प्रकारो आपेला छे. पूरतो संभव छे के उपर्युक्त खडुक्का वगेरे एक ज मूळ शब्दना रूपभेद के लिपिभेद छे, अने ते रवानुकारी छे.
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