Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[80] 'वसंतविलास'मां संबंधविभक्तिनो 'चा' अनुग, 'निरोप' (= आदेश आपवो) अने आ 'आंबुलु' जूनी मराठीमां प्रचलित प्रयोगो छे. ('खरतरगच्छ-बृहद् गुर्वावलि'मां 'निरोप' शब्द आदेशना अर्थमां संस्कृतमां वपरायो छे : यूयं पुस्तक-समर्पण-निरोपं ददध्वम् ।' (पृ. ३). "निरोप'ना अन्य प्रयोगो माटे जुओ जयंत कोठारी, 'मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश', १९९५ ।
लजामणी गुजरातीमां लजामणी, रिसामणी एटले एवो छोड जेनां पांदडां हाथ अडाडतां ज संकोचावा लागे । कोशमां आ माटे लाजाळु के लाजाळी पण आप्यो
हिन्दीमां तेने माटे लजवनी, लजाधुर, लजालू के लाजवंती एवा शब्दो कोशमां आपेल छे.
___आ बधा शब्दोनो अर्थ छोडनी लाक्षणिकता शरमाळ स्त्रीना जेवी होवानी लोकमान्यता उपर आधारित छे. हेमचंद्रना प्राकृत व्याकरणमा लज्जालुआ अने लज्जालुइणी शब्दो नोंधाया छे. प्राकृत कोशमां ते 'लजामणी'ना अर्थमां होवार्नु मान्यु छ । हिन्दीमां आ उपरांत छुईमुई शब्द पण लजामणी माटे छे. अडतां ज मरी जाय, करमाई जाय ए रीते ए छोडनी लाक्षणिकता घटावाई छे. 'पाइअसद्दमहण्णवो' मां तथा 'देशी शब्दकोश'मा 'विशेषावश्यक-भाष्य'मांथी (गाथा १७५४) लजामणी माटे छिक्कपरोईया शब्द आप्यो छे. उद्धरण छ :
छिक्कपरोइया छित्तमेत्तसंकोयओ कुलिंगो ब्व ।
एटले के 'कुलिंगनी जेम अडकतां ज जे संकोचाई जाय छे ते छिक्कपरोइया।' छिक्क परोइया (= स्पृष्ट-प्ररोदिता) एनो यौगिक अर्थ छ 'अडक्याथीअडकीने जेने रडाववामां आवे छे'- 'अडकतां ज जे रडी पड़े छे.' कुलिंगनो अर्थ आ संदर्भमां चोक्कस नथी । इंद्रगोप (= इंद्रनो गोवाळ), चंद्रवधूटी ('चंद्रनी वहु'), गोकळ-गाय ए चोमासामां नीकळतां लाल रंगना सुंवाळा कीडा माटे, भरवाड्य ए चोमासामां नीकळता लांबी ईयळ जेवा कीडा माटे, मामणमूंडो ए एक धोळा रंगना कीडा माटे, बिलाडीनो टोप के हिन्दी कुकुरमुत्ता 'चोमासामां थती छत्री-आकारनी
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