Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[ 112] कूती धुरि जांणावी वात । तुं तो धात्री माहरी मात मझ वर पांडु नरेसर सरणि नहींतर कय संजय कय मरण आम-तात नवि देसिइ (तिहां) माहरु मन-चिंतित वर जिहां धात्री कहइ स बुद्धि करेसु पांडु नरेसर वर तइं देसु सवि वात सुणइ छइ पांडु धात्री गई माहि वन-खंड नव पल्लव लेवा वन-खंड कूती रही कयल-गृहि मंडि कूती वली विमासी वात किहां गहिली नइ किहां सोमनाथ किहां सोरीपुर किहां कुरुनाह तात मांड किम हुइ विवाह डाभ-तणु तिणि कीधु दोर लांबु जाडु अतिहि अघोर चडि असोकि गलि घाली पास परमेसर पूरे मझ आस समरिउ महा-मंत्र नवकार हुजिउ पांडु मझ भवि भरतार चडि असोक-तरु-केरी डालि बंधि दोर कूती तिणि कालि गलइ पास घालि सज थई नीचुं मेल्हिउ क्षणि नवि मूंई पांडु-राइ खग्गिहि सिउं दोर मंत्र जपिउ नवकार अघोर २१५ कुंती पडी धरणि थई अचेत ले उत्संगिहि वालिङ चेत जांणइ अपर पुरुष-नइ फुरिसि हव जीवीनइ किसिउं करेसु घडीअ एक-दोइ चडीउ चंद कुंती पिक्खवि पांडु नरिंद नामांकित कंकण बिहुं हाथि हरिखी हीअइ सुअक्षर वाचि पांडु भणइ म गिणिसि मनि भ्रति हुं ते पांडु नरिंदु कहंति इम करतां धात्री तस माइ आवी तिणि कदली-गृहि ठाइ दीठ पांड ओलखिउ ति वार तां कुंती तू? किरतार वेगि वेगि गांधर्व-विवाह कीधु कुंती पांडु-सनाह रहियां बेउ कदली-गृह-माहि रंगि रमंतां रयणि विहाइ लाधुं कंत-तणुं अति मांन कंता-देवि हई साधांन रयणि गलंती चालिउ राउ तिहां गयु जिहां गयपुर-ठाउ धात्री अनइं स कूता-देवि संपुहुती घरि कुसले खेमि कूती-उदरि वाधइ संतांन तपइ कांति तस कंचन-वन्न मनह-तणा डोहला विसाल दांन-तणी मति अबला बाल
(चालु)
२२०
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