Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[73 ] पचखाण । पण वासा चालवउं होइ, अनइ कोस त्रिण, तथा च्यार-पांच जावउं होइ, अनइ जो तथाविध गाम न आवई तो कलपइ-ए बोल पनरमउ । १५
दिन प्रतइं आहार तिवारई करें (जिवारइं) दसवीकालिकनी सतर गाथा गुणउं । जउ न गुणाइ तउ बीजइ दिवस एक नोकरवाली गुणवी-ए बोल सोलमो । १६
जावजीव विगइ पा सेर उपरांत पचखाण । अथवा वाधतउ होइ तु मोकलूंए बोल सतरमउ । १७
नीवीनइ दिवस तीन घाणवा उपरांत दाधेल होइ तो कलपइ - ए बोल अढारमो । १८
मुझ थकी बीजा कुणहीनइं अप्रीति ऊपजइ तो बीजइ दिवस नीवी करिवीए बोल उगणीसमो । १९
अनइ परनउ अवगुण बोलवा पचखाण । इम करता वरांसइ बोलाइ तउ बीजइ दिवस सालणउं निषेध - ए बोल वीसमो । २०
दिन प्रतिई थंडिल पडिलेहवा; इम करतां न पडिलेहाइ तु बीजइ दिवस नीवी करवी - ए बोल इकवीसमो । २१ ।।
भइरव, सालू, महिमदी, बाहादरी, झूनो, गोडीउं, अटाण, श्रीबाप, तथा रेसमी वस्त्र-ए आदि देईनइ समस्तनउं पचखाण - ए बोल बावीसमुं । २२
पोथी एक, पाठां धोलां बि, वीटागणउ एक-ए बोल त्रेवीसमो । २३
सूत्रनी नुकरवाली, अथवा पत्रजीवानी पण एक राखुं - ए बोल चउवीसमउ। २४
___ अणगल्यउं पाणी वावरवा पचखाण । इम करतां वरांसइ ववराइ तु नुकरवाली एक ऊभां गुणउं-ए बोल पंचवीसमो । २५
जती बिहुँनइ दिन प्रतई वीसामण करिवी । कारण विना - ए बोल छावीसमउ । २६
विहरवां गयां जे हीड्यो विहरावइ ते विहरुं । खपसारू ना न कहिवी - ए बोल सत्तावीसमउ । २७
मास माहि उपवास पांच, आंबिल बि, निवी पांच करवी । एतलो तप शरीरनइ कारणइं न थाइ तउ जे तपनी जेतली सझाय थाइ ते तपनी तेतली सझाय गुणी पुहचाडवी - ए बोल अठावीसमउ । २८
विहरवानी वस्त छुटी नखाय तु, अनइ छूटी नांखी लिवाइ तु एक नउकरवाली
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