Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[37] मूलत्थाण-विज्जनाह -चक्कपाणि-सूलपाणि-सारंगवाणिणो दाहिणी(ण)दिसं गया । पलाया असुराहिवई । वलहीए आसो पुनिमाए आरब्भ छम्मासं ठियं । रयण माणिक्करहा समुद्दपइट्टा । सोवनिउ रहो सिरिमालं पइट्ठो । अन्ने वि वहवे जिणिंदा सम्मद्दिट्ठि गया देवया देव(?)गगणतलंमि उप्पइया विविहट्ठाणेसु । बहवे देवया आएसदाणेणं पायालं पइट्ठा । विमलगिरितित्थाउ सम्मदिट्ठिदेवयाइहिं निद्धाडिउ। ........सयलपट्टणाई ॥ चंदेरी भग्गा । भवा वि(?)उज्जयंतसेलसमीवे ठिउ । - मलदेवयाए कालं मेह भेउ । मेहनाह निद्धाडिउ ।
गुज्जरदेसंमि ठियस्स असुरोह - कहं सुरा । ई(इ)उ य भव्व( ? )वरपट्टणे सोवनपडिमा देवयावसेणं पायालविवरप्पवे-हीअ अतुलियबलपरक्कमाए वद्धमाणपडिमाए वालणच्छंखलीवराउ(?) पडि - तरे सहस्स ल बंभसंती उहिनाणोवउगा(गे)णमानाऊण चक्क - राइसत्थेण ताडेइ । पलाउं लवणभूमीइ पडिउ। सेसो खयं गउ । जमुणा रहं छड्डो । इत्थ तरे उलखउर अहिवई खुरसाण तुरयलक्खदससंपडिट्ठडो (?) व(त)क्खसिला पडिभंग काऊण आसमुदं पुव्वपच्छिमदाहिणादेसचूडणेणं ।
इत्थंतरे महावीरतित्थे जोयगरा सम्मद्दिट्ठिणो निद्धाडिस्संति । पंच्चतं देद(व)या(?) पसग्गो नियदेसा एसो का ----- तस्स सत्त संतइ पउमा तन्ना समदिट्ठिणो खया । सत्तसयकुहा- उसग्गे किन्हअमावासाए नियसत्थेणं कालं गमिस्सति । कुसुमवुट्ठी । धणयसमागमो महामहिमो सुमुहुत्ते विसेसेणं । गईउया(?) । कारशरदेसाहिवडे महुराइमज्जदेसमज्जगउरयगेउरं दंडेइ लच्छिचउक्कंतु गिन्हई । सोद्धायाइ सच्चं भजेहा(?) । सद्द ऋण(?) मज्झगउ ।
संपत्ते सद्दउरे पंचायणसद्दविद्दाणो । खरनहरफरिसहत्थो पुव्वत्थलक -महिगोलो ॥ संखुईजह कवलण विप्पुरिहमहो जपइ सिंहो । पलाईया सव्वे उत्थाल - सद्दो ॥९॥(?)
घो[सि]--याणि मंगलतूराणि भ-[ग]वउ निव्वाणगल(त)स्स वाससहस्सेमा-वस–से ॥
इत्थंतरे गउडदेस से) वेस जाजउर राया म( ग? )यवई महाबलो—हासतोसि -लपट्टण छम्मासे सत्तकोडिकंचणसयाणि दंडी(डि)ऊण सव्वउ-हकरेइ । कह
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