Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[35] काउं खित्तविसुद्धिं मंगल कोउय जयं मणिरामं(?) वq(वत्थु ?) जत्थ पइट्ठा कायव्वा वीयरागाण || सदसेण धवलवत्थेण छाईउ वासपुष्फधूवेणं । अहिवासित्ता तिन्नि वाराउ सूरिणा सूरिमंतेणं ।। गंगापतिईहिं(?) जलेण अहिसिंचित्ता य इंदविज्जाए । इंदा उविंदवग्गा करिति न्हवणं जिणिंदस्स ।।। अठ्ठत्तरसयन्हवणं, विहिणा काऊण सदसवत्थे[ण] । समुहुत्ते अहिवासण-कारणं(करणं) कारेइ मुणिवइणा ।। चत्तारि पुन्नकलसा सलिलक्खयणयरुप्परयणमया ।(?) वरकुसुमदामकंठोवसोहिया चंदणविलित्ता । जववारया[य] सयवत्त-घंटिया रयणमालियाकलिया ॥ सुहपुनवत्त चउतंतु-गुच्छया हुंति पासेसु ॥ मंगलदीवा य तहा घयगुलपुन्ना तेहिं क्खु(तहिक्खु)रुक्खा य । वरवन्नअक्खयविविन्न(?)सोहिया तह य कायव्वा ।। उसहफलवत्थुसुवन्नरइ(य)णसुत्ताइयाई । अन्नाइ गा(ग)रूयसुदंसणाई दिव्वाइं विमलाई ॥ चित्तबलिगंधमल्ला चित्तकुसुमाई चित्तवासाई । विविहाई धन्नाई सुहाई सुरूवाई उवणेह ।। चउनारीउ मणिणं नियमा अ(इ?)त्थियासु नत्थि विरोहो(?) । नवच्छं च इमां सिजं पवरं इह सेयं-(?) ॥ वंदित्तु चेइयाई तस्स घो(?) तहा य होइ कायव्वो । आराहणानिमित्तं पवयणदेवी य संघेण ॥ वइसाहपुत्रिमाए विसाहनक्खत्तयम्मि जोगेणं । वेव(?) चेग(?) घडिया ए पुणो साहियकलयाए सुपइटुं ।। नवघडियाए पणयालीसपलम्मि पणतीसअक्खरपरिमाणे । सुमुहुत्ते सुनक्खत्ते पइट्ठा कया केल्ला(?) पा ।। सलागाए महुघयपुत्राय अत्थि उ व घडो-(?) । सूत्ता जज्जगगुरुणा सक्कपच्चक्खयं कुणइ ॥ सक्केणं वेसमणे निद्दिढे । तेण वि सोहम्मवडिंसयस्स विमाणस्स उत्तर
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