Book Title: Anusandhan 1996 00 SrNo 06
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 44
________________ [39] इत्थंतरे हत्थिणाउराउ विषाट्ठाणपुर अरिहसासणघोरविज्जाए कण्ह अमावसा[ए सु] साणम्मि निच्चं हुणणं करेइ । विज्जं साहितो सरिसवेहिं होमं करेइ । इत्थंतरे अज्जखउडारिया सच्चउर रे) से साहिए सिद्धविज्जो भैरवाणंदो आइट्टाए आ(अ)इ निऊण मुक्को निग्गहिउ । सो वि वाणमंतरो उवसग्गे करेइ । सुनकयं वारसवारिसा तेउ अज्जसिद्ध --चाउवन्न समणसंघजुत्तो सिरिमालपुराउ आगउ । अट्ठाहियामहिमं कुणंति संति घोरि(सि)ऊण अग्घीदउ वाणमंतरो ऊसवो कउ पुणवि सच्चउरं ठियं ॥ इत्थंतरे –अभिहाणे गहियमुग्गरो !! १३५० चेईहरमज्झे ठिउ । पुज्जा(क्ख)लवट्टव्व गज्जमाणेण व विणारिहंतेण(?) (ठवणारिहंतेण?) निद्धाडिउ। अणसणेणं ठिउ वद्धमाणभत्तो ॥ १३ ॥ सिरिवीरवि(ति)त्थहालणे(?) पडिणीए सिद्धराय-पवणराए विक्कमक(का) ल ८६० तिन्नि दिणे जक्खेण कीलियव्वं । भए जाए । तउ ग(न)मंसिऊण गमिस्सई ॥१४ वाउड वसुभवे सजोगराए य दुट्ठचित्ते य अ -ए दहणकाले सो चेव य डज्झमाणो य संतो विणीय हिउ नमंसिही वद्धमाणजिणतित्थं । अत्थमियबलो य व लोय भयव(व)सच्चउरे जय[उ] वीरजिणो ॥१५।। अह उद्धर ईसाणे कासीअहिवो महिंदसीहो य । वेयालबलेण पुणो महाबलो हिंडए भरहे ।। मालवदेसं भुवंमि -_-- पत्तो गुज्जर मलदेसाई । भंगं काउं पुणो वि सच्चउरे द(दु)द्धरिसदणव(?)- —जक्खराउया अट्टहास(सं) कुणतो अणा। से सहसभुओ हिक्का-खं - कुहाडो पणमिऊण वावास पसच्च(?)तित्थ पडिणीउ गुज्जरभंगं करि(रि)तो ईसरविहुलिंगाइवाहणसीलो सो(स)च्च[ उ]र आसन्नपएसे फुट्टनयणो जक्खराएणं सद्दाविउ- "मए नाहस्स पडिणीउ वि करुणाए मुक्को" | बलाणगविधं काऊणग- --- राया वि पुणो देवसहस्से वि(हिं ?) परिवुडं वीरं विम्हियहियउ कालियदंडो मासिही सिग्घ ।-लोगुत्तरजिण चेईय विद्धंसणे हेउ दिन्हराउत्ति लोईय अग्गी धूमेणं कालवयणुत्ति ॥.....जिगराया वि पुणो किती(?) नयरी य सामिउ पबलो आइच्चभत्तवि(चि?)त्तो । आयइदुटुहियउ य सिंहदुगं गज्जंतं पु(प)प्फालिय गयणचक्कभग्गहेऊ सो वि पलाउ ठाणे ठाणे वीरचणजुत्तो ॥२० इउ य कोलापुरे महालच्छीगणकंवा । त्यासो ? राया। तस्स सुउ नरसिंहदेवो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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