Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 25
________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वादशमो विभागः इयलाभदिटुंता // 107 // पदमिल्लयाण उदए, नियमा संजोयणा कसायाणं सम्महसणलंभं, भवसिद्धीयावि न लहंति // 108 // बिइयफसायाणुदए, अपञ्चक्खाणनामधेजाणं / सम्मसणलंभं, विरयाविरई न उ लहंति // 101 // तइयकसायाणुदए, पञ्चक्खाणावरणनामधिजाणं / देसिकदेसविरई, चरित्तलंभं न उ लहति // 110 // मूलगुणाणं लंभं, न लहइ मूलगुणघाइणं उदए / उदए संजलणानलहइ चरणं ग्रहक्खायं // 111 // सव्वेऽवित्र अइयारा, संजलणाणं तु उदयश्रो हुँति / मूलच्छिज्ज पुण होइ, बारसराहं कसायाणं // 112 // बारसविहे कसाए, खइए उवमामिए व जोगेहिं / लब्भइ चरित्तलंभो, तस्स विसेसा इमे पंच // 113 // सामाइयं च पढम, छेत्रोवट्ठावणं भवे बीयं / परिहारविसुद्धीयं / सुहुमं तह संपरायं च // 11 // तत्तो य ग्रहक्खायं, खायं सम्बंमि जीवलोगंमि। जं चरिउण सुविहिश्रा, वच्चंतयरामणं गाणं // 115 // अणदंसनसित्थी, वेयछवकं च पुरिसवेयं च / दो दो एगन्तरिए, सरिसे सरिसं उवसमेइ // 116 / लोभाणु वेअंतो, जो खलु उवसामो व खवगो वा / सो सुहुमसंपरायो, अहक्खाया ऊणयो किंची // 117 // उवसामं उवणीश्रा, गुणमहया जिणचरित्तसरिसं पि। पडिवायंति कसाया, किं पुण सेसे सरागत्थे ? // 118 // जइ उपसंतकसायो, लहइ अणंतं पुणोऽवि पडिवायं / णहु मे वीससियब्वं, थेवे य कसायसेसंमि // 111 // अणथोवं वणथोवं, अग्गीथोवं कसायथोवं च / गहु में वीससियव्वं थेपि हु तं बहुँ होइ // 120 // अण मिच्छ मीस सम्मं, अट्ठ नपुंसिस्थीवेय छवकं च / पुवेयं च खवेइ, कोहाइए य संजलणे // 121 // गइआणुपुव्वी दो, दो जाइनामं च जाव चरिंदी / अायावं उजोयं, थावरनामं च सुहुमं च // 122 // साहारणमपजत्तं, निदानिच पयलपयलं च / थीणं खवेइ ताहे, अवसेसं जं च अट्टाहं // 12 // वीसमिऊण नियंगे, दोहि उ समएहि केवले सेसे। पढमे निद्द पयलं,

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