Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमती अंपनियुक्तिः आपुच्छिा उग्गाहिअ अण्णं गामं वयं तु पञ्चामो / अण्णं च अपजते होंति अपुच्छे इमे दोसा // 146 // तेणाएसगिलाणे सावय इत्थो नपुसमुच्छा य / आयरिअबालवुड्डा सेहा खमगा य परिचत्ता // 147 // - थायरिए पापुच्छा तस्संदि? व तंमि उपसंते / चेइयगिलाणकज्जाइएसु गुरुणो श्र निग्गमणं // 240 // भरणइ पुवनिउत्ते यापुच्छित्ता वयंति ते समणा / अणभोगे श्रासन्ने काइयउच्चारभोमाई // 241 // दवमाइनिग्गयं वा सेजायर पाहुणं च अप्पाहे / असई दूरगोवि अनियत्त इहरा उ ते दोसा // 242 // अराणं गामं च वए इमाई कज्जाई तत्थ नाऊणं / तत्यवि अपाहणया नियत्तई वा सई काले // 243 // दूट्टियखुड्डुलए नव भड अगणी य पंत पडिणीए / पाश्रोग्गकालकम एकगलंभो अपज्जत्तं // 244 // पाउग्गाईणमसई संविग्गं सरिणमाइ अप्पाहे / जइ य चिरं तो इयरे ठवित्त साहारणं भुजे // 245 // जाए दिसाए उ गया भत्तं घेत्तुं तयो पडियरंति / अणपुच्छनिग्गयाणं चउद्दिसं होइ पडिलेहा // 246 // पंथेणेगो दो उप्पहेण सह करेंति वच्चंता / अक्खरपडिसाडणया पडियरणिअरेसि मग्गेणं // 247 // गामे गंतु पुच्छे घरपरिवाडीए जत्थ उ न दिट्ठा / तत्थेव बोलकरणं विडियजण साहणं चेव // 248 // एवं उग्गमदोसा विजता पइरिकया अणोमाणं / मोहतिगिच्छा अकया विरियायारो य अणुचिराणो // 241 // अणुकंपायरियाई दोसा पइरिकजयणसंसट्ठ। पुरिसे काले खमणे पढमालिय तीसु गणेसु // 250 // (भा०) चोयगवयणं अप्पाऽणुकंपिओ ते अभे परिवत्ता / आयरियणुकंपाए परलोए इह पसंसणया // 148 // एवंपि अपरिचत्ता काले खवणे अ असहुपुरिसे य / कालो गिम्हो उ भवे खमगो वा पढमषिहएहिं // 149 // जइ एवं संसलु अप्पसे दोसिणाइणं गहणं / लंबणभिक्खा दुविहा जहण्णमुक्कोस तिअपणए // 150 //
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