Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 187
________________ 17. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमागर मीमयो य अचित्तो। सचितो पुण दुविहो निच्छयववहारियो चेव // 337 // निच्छयत्रो सचित्तो पुढविमहापव्वयाण बहुमज्झे / अञ्चित्तमीसवजो सेसो ववहारसच्चित्तो॥ 338 // खीरदुमहे? पंथे कट्ठोल्लो इंधणे य मीसो य। पोरिसि एगद्गतिगं बहुइ घणमझथोवे अ॥ 33 // सीउराहखारखत्ते अग्गीलोण्णूस अंबिले नेहे / वक्तजोगिएणं (एवि य) पयोयणं तेगिमं होंति // 340 // अवरद्धिग विसबंधे लवणेण व सुरभिउवलएणं च / अचित्तस्स उ गहणं पयोयणं होइ जं चन्नं // 341 // ठाणनिसीयतुयट्टण उच्चाराईणि पेव उस्मन्गो। घट्टगडगलगलेवो एमाइ पयोयणं बहुहा // 342 // घणउदहीघणवलया करगसमुद्दद्दहाण बहुमज्झे / ग्रह निच्छ्यसचित्तो ववहारनयस्स अगडाई // 343 // उसिणोदगमणुवत्ते दंडे वासे य पडिअमेत्ते य। मोत्तणाएसतिगं चाउलउदगं बहुपसन्नं // 344 // पाएसतिगं बुब्बुय बिन्दू तह चाउला न सिझति / मोत्तूण तिरिणऽवेए चाउलउदगं बहु पसरणं // 345 // सीउगहखारखत्ते अग्गीलोणूप यंबिले नेहे / वक्कंतजोणिएणं पयोयणं तेणिमं होति // 346 // परिसेयपियणहत्था इबोयणा चीरधोयणा चेव / श्रायमण भाणधुदणे एमाइ पोयणं बहुहा // 347 // उउबद्धधुवण बाउस बंभविणासो अठाणठवणं च। संपाइमबाउवहो पलवण बातोपघातो य // 348 // अइभारचुडापखए सीयलपावरण अजीर गेलन्ने / योभावण कायवहो वासासु अधोवणे दोसा // 341 // अप्पत्ते चिय वासे सव्वं उवहिं धुवंति जयणाए / असइए व दवस्स उ जहन्नयो पायनिजोगो // 350 // पायरियगिलाणाणं मइला मइला पुणोवि धोति / मा हु गुरुण अन्नो लोगंमि अजीरणं इयरे // 351 // पायस्स पडोयारं दुनिसज्जे तिपट्ट पोत्ति रयहरणं / एते ण उ विस्सामे जयणा संकामणा धुवणा // 352 // अभितरपरिभोगं उपरि पाउणइ णातिदूरे य।

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