Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 202
________________ श्रीमती ओपनियुक्तिः / 51 ...चउरंगुलमुहपत्ती उज्जुयए वामहत्थि रयहरणं / वोसट्टचत्तदेहो काउस्सग्गं करेजाहि // 510 // (भा०) चउरंगुलमप्पत्तं जाणुगहेटा छिवोवरि नाहिं / उमओ कोप्परधरिअं करेज पहुं च पडलं वा // 266 // ___पुबुदिढे गणे ठाउं चउरंगुलंतरं काउ / मुहपोत्ति उज्जुहत्थे वामंमि य पायपुंछणयं // 511 // काउस्सग्गंमि ठिो चिंते समुयाणिए अईबारे / जा निग्गमप्पवेसो तत्थ उ दोसे मणे कुजा // 512 // ते उ पंडिसेवणाए अणुलोमा होति वियडणाए य। पडिसेववियडणाए एत्थ उ चउरो भवे भंगा // 513 // वक्खित्तपराहुत्ते पमत्ते मा कयाइ पालोए। श्राहारं च करेंतो नीहारं वा जइ करेइ // 514 // (भा०) कहणाईवक्वित्ते विक्रहाइ पमत्त अनओ व मुहे। अंतरमकारए वा नीहारे संक मरणं वा // 267 // . श्रव्वविखत्ताउत्तं उवसंतमुवट्टियं च नाऊणं / अणुनवेत्तु मेहावी थालोएजा सुसंजए // 515 // (भा०) कहणाइ अवक्खित्ते कोहाइ अणाउले तदुवउत्ते। संदिसहत्ति अणुन्नं काऊण विविसमालोए // 268 // नट्ट वलं चलं भासं मूर्य तह ढङ्करं च वज्जेजा। पालोएज सुविहियो हत्यं मत्तं च वावारं // 516 // दारं // (भा०) करपाय-भमुहिसीसऽच्छिउडिमाईहिं नटि नाम / वलणं हत्थसरीरे चलणं काए य भावे य // 269 // गारत्थियभासाओ पवजए मूप बहुरं च सरं / आलोए वावारं संसष्टियरे व करमत्ते // 270 // एयद्दोसविमुक्कं गुरुणो गुरुसम्मयस्स वाऽलोए। जं. जह गहियं तु भवे पढमाश्रो जा भवे चरिमा // 517 // काले य पहुप्पंते उच्चा(वा)श्रो वावि श्रोहमालोए / वेला गिलायंगस्स व अइच्छद गुरू व

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