Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [ भीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः ___ कागसियालक्खइयं दविवरसं सम्बो परामट्ठ। एसो उ भवे अविही जहगहिश्र भोयणमि (मुंजत्रो य) विही // 513 // . (भा०) उचिणइ व विट्ठाओ कागो अहवावि विक्खिरइ सव्वं / विप्पेकम्बद य दिसाओ सियालो अमोन्नहिं गिण्हे // 296 // सुरही दोच्चंगट्ठा छोदण ‘दव्वं तु पियइ दवियरसं। हेहोवरि आमट इय एसो भुजणे अविही // 297 // जह गहि तह नीयं गहणविही भोयणे विही इणमो / उक्कोसमः णुक्कोस समकयरसं तु भुजेजा // 298 // तइएवि अविहिगहि विहिभुतं तं गुरूहिऽणुमायं / सेसा नाणनाया गहणे दत्ते य निज्जुहणा // 299 // अहवावि अकरणाए उवष्ठियं जाणिऊण कल्लाणं / घटे दिति गरू पसंगचिणिवारणहाए // 300 // घासेसणा य एसा कहिया भे! धोरपुरिसपन्नता। संजमतवडगाणं निग्गंथाणं महरिसोणं // 301 // एवं घासेसणविहिं जुजंता चरणकरणमाउत्ता। साह खवंति कम्मं अणेगभवसंचि नणंतं // 302 / / एत्तो परिवणविहिं वोच्छामि धीरपुरिसपत्नत्तं / ज नाऊण सुविहिया करैति सुक्खक्खयं धीरा // 303 // भत्तद्विअ उव्वरिअ अहव अभत्तढ़ियाण जं सेसं / संबंधेणाणेण उ परिठावणिआ मुणेयव्वा // 304 // सा पुण जायमनाया जाया मूलोत्तरेहि उ असुद्धा / लोभातिरेगगहिया अभियोगकया विसकया वा // 514 // (भा०) मूलगुणेहि असुद्ध जं गहि भत्तपाण साहहिं / एसा उ होई जाता वुच्छं सि विहोए वोसिरणं // 305 // एगंतमणाए अचित्ते थंडिले गुरुवइ? / बालोए एगपुजं तिट्ठाणं सावणं कुजा // 515 // (भा०) लोभातिरेगगहि अहव असुद्ध तु उत्तरगुणेहिं / एसावि होति जाया वोच्छं सि विहीए सिरणं // 306 // - एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले गुरुवइ? / पालोए दुन्नि पुंजा तिट्ठाणं सावणं कुजा // 516 // दुविहो खलु अभियोगो दब्वे भावे य होइ नायव्यो / दव्वंमि होइ जोगो विजा मंता य भावंमि // 517 //
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