Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
________________ 2..] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विमागः भाणपमाणेण होइ कायध्वं / जह गंठिमि कयंमि कोणा चउरंगुला हुँति // 613 // पत्तट्ठवणं तह गुच्छयो य पायपडिलेहणीश्रा य / तिराहं पे यप्पमाणं विहत्थि चउरंगुलं चेव // 614 // रयमादिरक्खणट्ठा पत्तट्ठवणं विऊ उवइसंति (जिणेहिं पन्नत्त) / होइ पमजणहेउं तु गोच्छयो भाणवत्थाणं // 615 // पायपमजणहेउ केसरिया पाए पाए एक्केका। गोच्छग पत्तठ्ठवणं एक्कक्कं गणणमाणेणं // 616 // जेहिं सविया न दीसइ अंतरिश्रो तारिसा भवे पडला / तिन्नि व पंच व सत्त व कयलीगभोवमा मसिणा // 617 // गेम्हासु तिन्नि पडला चउरो हेमंत पंच वासासु / उकोसगा उ ए एत्तो पुण मज्झिमे बुच्छं // 618 // गिम्हासु हुँतेि चउरो पंच य हेमंति छच्च वासासु / एए खलु मज्झिमया एत्तो उ जहनमो बुच्छं // 611 // गिम्हासु पंच पडला छप्पुण हेमंति सत्त वासासु / तिविहंमि कालछेए पायावरणा भवे पडला // 700 // अड्डाइजा हत्था दीहा छत्तीसगुले रहा / वितियं पडिग्गहायो ससरीरायो य निष्फन्नं // 701 // पुप्फफलोदयरयरेणु-सउणपरिहार-पायरक्खट्ठा / लिंगस्स य संघरणे वेदोदयरक्खणे पडला // 7.2 // माणं तु रयत्ताणे भाणपमागेण होइ निष्फन्नं / पायाहिणं करेंतं मझे चउरंगुलं कमइ // 703 // मूमयरजउक्करे वासे सिरहा रए य रक्खट्टा। होति गुणा रयताणे पादे पादे य एक्केकं // 704 // कप्पा पायपमाणा अड्डाइजा उ वित्थडा हत्था / दो चेव सोत्तिया उन्नियो य तइयो मुणेयवो // 705 // तणगहणानलसेवा निवारणा धम्मसुकमाणट्ठा / दि8 कपग्गहणं गिला. णमरणट्ठया चेव // 706 // घणं मूले थिरं मज्झे, अग्गे मद्दवजुत्तया / एगंगियं अमुसिरं, पोरायामं तिपासियं // 707 // (भो०) अप्पोल्ल मिउ पम्हं च, पडिपुन्नं हत्थपूरिमं / रयणीपमाणमित्तं, कुजा पोरपरिग्गहं // 322 // // इति श्रीभोपनियुक्ति-भाष्यम् //
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