Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 219
________________ [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वादशमो विभागः रस्खणट्टा तत्थुवरि खोमियं कुजा // 724 // रयहरणपट्टमेत्ता अदसागा किंचि वा समतिरेगा। एकगुणा उ निसेजा हत्थपमाणा सपच्छागा // 725 // वासोवग्गहियों पुण दुगुणा अवही उ वासकप्पाई / आयासंजमहेउं एकगुणो सेसो होइ // 726 // जं पुण सपमाणायो ईसिं हीणाहिय व लभेजा / उभयपि अहाकडयं न संधणा तस्स छेदो वा // 727 // दंडए लट्ठिया चेव, चम्मए चम्मकोसए। चम्मच्छेदण पट्टवि, चिलिमिली धारए गुरू // 728 // जं चरण एवमादी तवसंजमसाहगं जइजणस्स / श्रोहाइरेगगहियं श्रोवग्गहियं वियाणाहि // 726 // लट्ठी श्रायपमाणा विलट्ठि चउरंगुलेण परिहीणा / दंडो बाहुपमाणो विदंडयो कक्खमेत्तो उ॥७३०॥ एकपव्वं पसंसंति, दुपवा कलहकारिया / तिपव्वा लाभसंपन्ना, चउपव्वा मारणंतिया // 731 // पंचपव्वा उ जा लट्ठी, पंथे कलहनिवारणी / छच्चपव्वा य ायंको, सत्तपव्वा अरोगिया // 732 // चउरंगुलपइट्टाणा, अट्ठगुलसमूसिया / सत्तपब्वा उ जा लट्ठी, मत्ता(ता)गयनिवारिणी // 733 // अट्ठपव्वा असंपत्ती, नवपव्वा जसकारिया / दसपब्वा उ जा लट्ठी, तहियं सव्वसंपया // 734 // वंका कीडक्खझ्या चित्तलया पोल्लडा य दड्डा य / लट्ठी य उब्भसुका वज्जेयव्वा पयत्तेणं // 735 // विसमेसु य पव्वेसु, अनिष्फन्नेसु अच्छिसु / फुडिया फरुसवन्ना य, निस्सारा चेव निंदिया // 736 // तणूई पव्वमज्झेसु, थूला पोरेसु गंठिला / अथिरा असारजरदा, साणपाया य निंदिया // 737 // घणवद्धमाणपव्वा निद्धा वन्नेण एगवन्ना य। घणमसिणवट्टपोरा लट्ठि पसत्था जइजणस्स // 738 // दुट्ठपसुसाणसावय-चिक्खलविसमेसु उदगमज्झेसु। लट्ठी सरीररक्खा-तवसंजमसाहिया भणिया // 731 // मोक्खट्ठा नाणाई तणू तयट्ठा तयट्ठिया लट्ठी। दिट्ठो जहोवयारो कारणतकारणेसु तहा // 740 // जं जंजइ उपकरणे उवगरणं

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