Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // हादशमो विभागः चउद्दसविहो उवही पुण थेरकप्पम्मि // 670 // जिणा बारसरुवाई, थेरा चउदसरूविणो। अजाणं. पन्नवीमं तु, अश्रो उड्ढ उबग्गहो // 671 // तिन्नेव य पच्छागा पडिग्गहो घे होइ उकोसो। गुच्छग पत्तगठवणं मुहणंतग केसरि जहन्नो // 672 // पडलाई रयत्ताणं पत्ताबंधो य चोलपट्टो य / रयहरण मत्तयोऽवि य थेराणं छविहो मझो // 673 // पत्तं पत्ताबंधो पायट्ठवणं च पायकेसरिया / पडलाइं रयत्ताणं च गोच्छयो पायनिजोगो // 674 // तिन्नेव य पच्छागा रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती / तत्तो य मत्तगो खलु चउदसमो कमदगो चेव // 675 // उग्गह गुंतगपट्टो अद्धोरुग चलणिया य बोद्धव्वा / अभितर बाहिरियं सणियं तह कंचुगे चवं / / 676 // उकच्छिय वेकच्छी संघाडी चेव खंधकरणी य / श्रोहोवहिमि एए अजाणं पन्नवीसं तु // 677 // ____(भा०) नावानिभो उगह गंतगो उ सो गुज्झदेसरक्खहा / सो उ पमाणेअंगो घणमसिणो देहमासज्जा // 313 // पट्टोवि होइ एको देहपमाणेण सो उ भइयव्वो / छायंतोग्गहणंतं कडिबंधो मल्लकच्छा वा // 314 // अड्डोरुगो उ ते दोवि गेण्हि छायए कडिविभागं / जाणपमाणा चलणी असोविया लंखियाएव // 315 / / अंतो नियंसणी पुण लोणतरा जाव अडजंघाओ / बाहिरखा. लुपमाणा क.डी य दारेण पडिबडा // 316 // छाएइ अणुक्कमइ उरोरुहे कंचुओ य असीविओ य / एमेव य ओकच्छिय सा नवरं दाहिणे पासे // 317 // वेकच्छिया उ पट्टो कंचुयमुक्कच्छियं व छाएइ / संघाडीओ चउरो तत्थ दुहत्था उवसयंमि // 318 // दोणि तिहत्थायामा भिक्खहा एग एग उच्चारे / ओस. रणे चउहत्था णिसन्नपच्छायणी मसिणा // 319 // खंधकरणी य चउहत्थवित्थडा वायविहुयरक्वट्ठा / खुजकरणी उ कीरइ ख्ववईणं कुडहहेउ // 320 // (संघाइमेअरो वा सव्वो वेसो समासओ उवहो / पसगवडमझुसिरो जं चाइन्नं तयं एवं // 28 // जिणा बारसरुवाणि (गाथा 671) // उक्कोसगो जिणाणं चउव्विहो मज्झि मोवि एमेव / जहन्नो चउविहो खलु इत्तो थेराण वुच्छामि // 29 // उक्कोसो थेराणं घविहो छविहो अ मज्झिमओ / जहन्नो चउविहो खलु इत्तो अजाण बुच्छामि // 30 ॥प्र०)..
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