Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 207
________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमी विभाणा उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवजिथं / साहारणं अयाणतो, साहू हःइ असारयो / 567 // उग्गमउप्पायणासुद्धं एसणादोसवजिअं / साहारणं वियाणंतो, साहू हवइ ससारयो // 568 // उग्गमउप्पायणासुद्धं, एसणादोसवजिअं / साहारणं अयाणंतो, साहू कुगाइ तेणियं // 561 // उग्गमउप्पायणासुद्धं, एमणादोसवजियं / साहारणं वियाणंतो, साहू पावइ निजरं // 57. // अंततं भोक्खामित्ति बेसए मुंजए य तह चेव / एस ससारनिविट्टो ससारयो उठ्ठियो साहू // 571 // एमेव य भंगतिनं जोएयव्वं तु सार नाणाई / तेण सहियो ससारो समुद्दवणिएण दिढतो // 572 // जत्थ पुण पडिग्गहगो होज कडो तत्थ छुब्भए अन्न / मत्तगगहिउव्वरिषं पडिग्गहे जं असंसट्ठ॥ 573 // जं पुण गुरुस्स सेसं तं छुब्भइ मंडलीपडिग्गहके / बालादीण व दिज्जइ न छुन्भई सेसगागाहियं // 574 // सुक्कोल्लयडिग्गहगे विश्राणिश्रा पक्खिवे दवं सुक्के / अभत्तट्ठियाण अट्ठा बहुलंभे जं असंसटुं॥ 575 // सोही चउक्त भावे विगइंगालं च विगयधूमं च। रागेण सयंगालं दोसेण सधूमगं होइ // 576 // जत्तासाहणहेउं पाहारैति जवणट्ठया जइणो / छायालीसं दोसेहिं सुपरिसुद्धं विगयरागा // 577 // हियाहारा मियाहारा, अप्पाहारा य जे नरा / न ते विजा तिगिच्छंति, अप्पाणं ते तिगिच्छगा // 578 // छराहमन्त्रयरे ठाणे, कारणमि उ श्रागए। श्राहारेज(उ) मेहावी, संजए सुसमाहिए // 576 // वेयणयावच्चे इरियट्ठाए य संजमट्टाए। तह पाणवत्तियाए छ8 पुण धम्मचिंताए॥५८० // (भा०) नत्थि छुहाए सरिसया वेयण भुजेज तप्पसमणहा। छाओ घेयावच्चं न तरह का अओ भुजे // 29 // इरियं नवि सीहेइ पेहाईयं च संजमं काउं / थामा वा परिहायइ गुणऽणुप्पेहासु य असत्तो / / 291 // .

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