Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः ताण इणमो विहिं वुच्छं // 547 // आगाढजोगवाही निज्जूढऽत्तट्ठिया व पाहुणगा। सेहा-सपायचित्ता बाला बुड्ढवमाईया // 548 // दुविहो खलु बालोगो दव्वे भावे य दब्बि दीवाई / सत्तविही पुण भावे पालोगं तं परिकहेहं / / 541 // ठाण दिसि पगासणया भायण पक्खेवणे य गुरु भावे / सत्तविहो आलोगो सयावि सुविहियाणं // 550 // ... (भा०) निवखमपर्वसमंडलि-सागारियठाण परिहिय हाइ / मा एक्कासणभंगो अहिगरणं अंतरायं वा // 275 // पच्चुरसिपरंमुहपडिपक्ख एया दिसा विवज्जेत्ता / ईसाणग्गेईय व ठाएज गुरुस्स गुणकलिओ // 276 // मच्छियकंगहाईण जाणगा पगासभुजणया / अहियलग्गणदोसा वग्गुलिदो ताजा एवं // 277 // जे चेव अंधयारे दोसा ते चेत्र संकडमुहंमि / परिसाडो बहुलेवाडगं च तम्हा पगासनुहे // 278 // डिअंडगमित्तं अविगियवयगो उ . पक्खिवे कवलं / अइखडकारगं वा जं चअणालोइयं हुन्जा // 279 // एसि जागगठा गुरु आलोर तओ उ भुजेज्जा / नाणाइसंघ गठा न वन्नबलस्वविसयहा // 280 // सो पालोइयभोई जो एए जुंजए पए सव्वे / गविसण-गहणग्घासेसणाइ तिविहाइवि विसुद्धं // 551 // एवं एगस्स विही भोत्तब्वे वनियो समासेणं / एमेव अणेयाणवि जं नाणत्तं तयं वोच्छं / / 552 // अतरंतबालवुड्डा सेहाएमा गुरू.असहुवग्गो। साहारणोग्गहालिद्धिंकारणा मंडली होइ / / 553 // नाउ नियट्टणकालं वसहीपालो य भायणुग्गाहे / परिसंठियऽच्छदवगेराहणठ्या गच्छमासज्जा // 554 // अमई य नियत्तेसु एक्क चउरंगुलूणभाणेसु / पक्खिविय पडिग्गहगं तत्थऽच्छदवं तु गालेजा // 555 // पायरियश्रभावियपाणगट्ठया पायपोसधुवणट्ठा / होइ य सुहं विवेगो सुह श्रायमणं च सागरिए // 556 // एक्कं व दो व तिन्नि व पाए गच्छापमाणमासज / अच्छदवस्स भरेजा कसट्टबीए विगिचेजा // 557 // महंगाईमकोडाहि संसत्तगं च नाऊणं / गालेज छब्बएणं सउणीघरएण व दवं तु // 55 // इय थालोइरपट्टविश्र-गालिए मंडलीइ सट्ठाणे / सम्झायमंगलं
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