Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
________________ 11] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / द्वादशमी विभागः // 416 // तणकट्ठहारगाणं न देइ न य दासपेसवग्गस्स / न य पेमणे निउंजइ पलाणि हिय हाणि गेहस्स // 417 // बिइयस्स पेसवग्गं वावारे अन्नपेसणे कम्मे / काले देहाहारं सयं च उवजीवई इवी // 468 // वन्नवलरूवहेउं श्राहारे जो तु लाभि लभंते / अतिरेगं न उ गिराहइ पाउग्गगिलाणमाईणं // 411 // जह सा हिरगणमाईसु परिहीणा होइ दुक्खथाभागी। एवं तिगपरिहीणो साहू दुक्खस्स श्राभागी // 500 // श्रायरि. यगिलाणट्ठा गिराह न महंति एव जो साहू / नो वन्नरूवहेउं पाहारे एस उ पसरो॥ 501 // उग्गमउप्पायण एसणाए वायाल होंति अवराहा / सोहेडं समुयाणं पडुप्पन्ने वच्चए वसहिं // 502 // सुन्नघरदेउले वा असई य उवस्मयस्स वा दारे / संसत्तकंटगाई सोहेउमुवस्सगं पविसे // 503 // संमत्तं तत्तो चित्र परिद्ववेत्ता पुणो दवं गिरहे / कारण मत्तयगहि पडिग्गहे छोड पविसणया // 504 // गामे य कालभाणे पहुच्चमाणे हवंति भंगट्ठा / काले अपहुप्पंते नियत्तई सेसए भयणा // 505 // अगणं च वए गामं श्रराणं भाणं व गेराह सइ काले / पढमे बितिए छप्पंचमे य भय सेस य नियत्ते // 506 // वोसिठ्ठमागयाणं उव्वासिय मत्तए य भूमितियं / पडिलेहियमत्थमणं सेसन्स्थमिए जहन्नो उ // 507 // भुत्ते वियारभूमी गयागयाणं तु जह य योगाहे / चरमाए पोरिसीए उकोसो सेस मभिः मयो // 508 // पायपमजणनिसीहिया य तिन्नि उ करे पवेसंमि / अंजलि ठाणविसोही दंडग उवहिस्स निक्खेवो // 50 // (भा०) एवं पडुपन्ने पविसओ उ तिन्नि व निसोहिया होति / अग्गहारे मज्झे पोस पाए य सागरिए // 26 // हत्थुस्सेहो सोसप्पणामण वाइओ नमोकारो / गुरुभायणे पणामो वायाए नमो न उस्सेहो // 263 // उवरि हहा य पमजिऊण लहिं ठोज सहाणे / पढें उवहिस्सुवरि भायणवत्थाणि भाणेसु // 264 // जइ पुण पासवर्ण से होजा तो उग्गहं सपच्छागं / द.उं भन्नस्स सचोलपट्टओ काइयं निसिरे // 265 //
Page Navigation
1 ... 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226