Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमती ओधनियुक्तिः ............... पहु थेरे पंडे मते य खित्तचित्ते य / दित्ते जक्खाइ8 करचरछन्नेऽन्ध गिर ले य॥ 467 // तदोसगुश्विणीवाल-वच्छकंडत-पीसभज्जंती / कप्ती पिंजंती भइया दगमाइणो दोसा // 468 // .... . .. (भा०) कप्पडिगअप्पाहणदिने अन्नोन्नगहणपज्जंतं / खंतियमग्गणदिन्नं उड्डाहपदोसचारभडा // 241 // अप्पभु भयगाईया उभरगतरे पदोस पहु कुन्जा / थेरे चलंत पडण अप्पभुदोसा य ते चेव // 242 // आयपरोभयदोसा अभि खगहमि खुभिण नपुसे। लोगद्गुछा संका एरिसगा नूणमेतेऽवि // 243 // अवयास भाणभेदो वमणं असुइत्ति लोगउडाहो / खेत्ते य दित्तचित्ते जद खाइ? य दोसा उ॥ 244 // करनि असुइ चरणे पडणं अंधिल्लए य छक्काया। नियलाऽसुइ पडणं वा नहोसी संकमो असुइ // 245 // गुव्विणि गर्भ संघटणा उ उद्दति निवसमाणी य / बालाई मंसग मन्जाराई विराहेका // 246 // बीओदग्रसंघट्टण कंडणपीसंत भजणे डहणं / कत्ती पिंजती हत्थं लित्तंमि उदगवहो // 247 // भिक्खामत्ते अवियालणं तु बालेण दिजमाणंमि / संदिट्टे वा गहणं अइबहुय-वियालऽणुनायो // 46 // अप्पहुसंदि? वा भिक्खामित्ते व गहणऽसंदिट्ठ / थेरपहु थरथरते धरणं अहवा दढसरीरे // 470 // पंडग श्रप्पडिसेवी मत्तो सड्ढो व अप्पसागरिए / खेत्ताइ भद्दगाणं करचरण बिट्टप्पसागरिए॥ 471 // सड्ढो व अन्नभण अंधे सवियारणा य बद्धंमि / तहोसिए अभिन्ने वेला थणजीवियं थेरा // 472 // उक्खित्त पञ्चवाए कंडे पीसे वऽछूट-भजन्ती / सुक्कं व पीसमाणी बुद्धीय विभावए सम्मं // 473 // - (भा०) मुसले दिखत्तमि य अपचवाए य पीस अचित्ते / भज्जंती अच्छुढे भुजंती जा अणारडा // 248 // ___ कत्तीए थूलं विक्खिण लोढण जति य निट्टवियं / पिंजण असोयवाई भयणागहणं तु एएसि // 474 // गमणं च दायगस्सा हेट्ठा उवरिं च होइ नायव्वं / संजमायविराहण तस्स सरीरे य मिच्छत्तं // 475 // .
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