Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 192
________________ श्रीमती ओधनियुक्तिः ] .. . तासि वज्जेजा। पायं ठवे सिणेहाति-रक्खणट्ठा पवेसो वा // 318 // उपयोगं च अभिक्खं करेइ वासाइरक्खणट्टाए / वावारेइ व अन्ने गिलाणमाईसु कज्जेसु // 311 // एको व जहन्नेणं दुगतिगचत्तारि पंच उकोसा। संजमहेउ लेवो वजित्ता गारवविभूसा // 400 // अणुवट्टते तहवि हु सव्वं अवणितु तो पुणो लिंपे। तजाय सचोप्पडगस्स घट्टगरइयं ततो धोवे॥४०१॥तजायजुत्तिलेवो खंजणलेवोय होइ बोद्धव्वो। मुद्दियनावाबंधो तेणयबंधेण पडिकुट्ठो // 402 // जुत्ती उ पत्थराई पडिकुट्ठो सो उ सन्निही जे णं / दयसुकुमार असन्निहि खंजण लेवो अश्रो भणियो॥ 403 // संजमहेउ लेवो न विभूमाए वदंति तित्थयरा / सइ अाइ य दिढतो सइसाहम्मे उवणयो उ // 404 // भिजज लिप्पमाणं लित्तं वा असइए पुणो बंधो। मुद्दिश्रनावाबंधो न तेणएणं तु बंधिजा // 405 // खरयसिकुसुभसरिसव कमेण उक्कोसमभिमजहन्ना / नवणीए सप्पिवसा गुडेण लोणेण य अलेवो उ // 406 // पिंड निकाय समूहे संपिंडण पिंडणा य समवाए। समोसरण निचय उवचय चर य जुम्मे य रासी य // 407 // दुविहो य भावपिंडो पसस्थयो होइ अप्पसत्थो य। दुगसत्तट्टचउक्कग जेणं वा बज्झए इयरो // 408 // तिविहो होइ पसत्यो नाणे तह दंसणे चरित्ते य। मोत्तूण अप्पसत्थं पसत्थपिंडेण अहिगारो॥ 401 // - (भा० लित्तमि भायणमि उ पिंडस्स उवग्गहो उ काययो / जुत्तस्स एसणार तमहं वोच्छं समासेणं // 212 // .. नाम ठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयव्वा / दब्बंमि हिरराणाई गवेमगहभुजणा भावे // 410 // पमाणे काले श्रावस्सए य संघाडए य उपकरण / मत्तग काउस्सग्गो जस्स य जोगो सपडिक्क्खो // 411 //

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