Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 194
________________ गोमति औषनियुक्तिः / [170 . श्रायरियाईणऽट्ठा श्रोमगिलाणट्ठया य बहुसोवि / गेलनखमगपाहुण अतिप्पएऽतिच्छिए यावि // 414 // अणुकंपापडिसेहो कयाइ न हिंडेज वा न वा हिंडे / अणभोगि गिलाणट्ठा श्रावस्सगऽसोहइत्ताणं // 415 // दारं / श्रासन्नाउ नियते कालि पहुप्पंति दूरपत्तोवि / अपहुप्पंते तत्तो चिय एगु धरे वोसिरे एगो॥ 416 // भावासन्नो समणुन अन्नयोसन्नमडवेजयरे / सल्लपरूवण वेजो तत्थेव परोहडे वावि // 417 // (एएसिं असईए रायपहे दो घराण वा मज्झे / हत्थं हत्थं मुत्तु मज्झे सो नरवइस्स भवे // 27 // प्र०) उग्गह काईयवज्जं छंडण ववहारु लन्भए तत्थ / गारविए पनवणा तव चेव श्रणुग्गहो एस // 418 // जइ दोगह एग भिवखा न य वेल पहुप्पए तो एगो / सव्वेवि अत्तलाभी पडिसहमणुपियधम्मे // 411 // श्रमणुन्न अन्नसंजोइया उ सव्वेवि णेच्छण विवेगो / बहुगुणतदे. कदोसे एलणबलवं नउ विगिंचे // 420 / / इत्थीगहणे धम्मं कहेइ वयठवण गुरुसमीवंमि / इह चेवोवर रज्जू भएण मोहोवसम तीए // 421 // साणा गोणा इयरे परिहरऽणाभोग कुड्डकडनीसा / वारइ य दंडएणं वारावे वा श्रगारेहिं / / 422 / पडिणीयगेहवजण श्रणभोगपविट्ठ बोलनिक्खमणं / मज्झे तिराह घराणं उपयोग करेउ गेराहेजा // 423 // वेंटल पुट्ठो न याणे प्रायन्नातीणि वजए ठाणे / सुद्धं गवेस उंछ पंचइयारे परिहरंतो // 424 // जहन्नेण चोलपट्टो वीसरणालू गहाय गच्छेजा / उस्सग्ग काउ गनणे मत्तय गहणे इमे दोसा // 425 // श्रायरिए य गिलाणे पाहुणए दुल्लह सहसलामे / संसामत्ताणे मत्तगगहणं अणुन्नायं // 426 // (भा०) पाउग्गायरियाई कह गिहउ मत्तए अगहियंमि / जा एसि विराहणया दवभाणे जं दोण विणा // 229 // दुखहद व सिया वयाह गिण्हे उवग्गइकरं तु / पउरऽन्नपाणलंभो असंथरे कत्थ य सिया उ // 230 // संसत्तभत्तपागे मत्ता सोहउ पविस्खो उपरिं। संसत्तगं च णा परिहवे सेसरक्खहा // 231 // ..

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