Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 181
________________ 164) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभागः (भा०) नवि ऊणा नवि रित्ता अविवश्वासा उ पढमो सुडो / सेसा होड असुद्धा उवरिल्ला सत्त जे भंगा // 166 // ____खोडपमजणवेलाउ चेव ऊणाहिया मुणेयब्बा। अरुणावासग 1 पुव्वं 2 परोपरं 3 पाणिपडिलेहा 4 // 26 // एते उ अणाएसा अंधारे उग्गएविहु न दीसे। मुहरयनिसिजचोले कप्पतिगदुपट्टथुई सूरो // 270 // पुरिसुवहिविवचासो सागरिए करिज उवहिबच्चासं / श्रापु. च्छित्ताण गुरुं पहुबमाणेयरे वितहं // 271 // पडिलेहणं करेंतो मिहो कहं कुणइ जणवयकहं वा / देइ व पञ्चक्खाणं वाएइ सयं पडिच्छइ वा // 272 // पुढवी श्राऊकाए तेऊवाऊवणस्सइनसाणं / पडिलेहणापमत्तो छराहपि विराहयो होइ // 273 // घडगाइपलोट्टणया मट्टिय अगणी य बीय कुथाई / उदगगया व तसेयर शोमुय संघट्ट भावण्या // 274 // (इय दबयो उ छरहंपे विराहयो भावो इहरहावि / उवउत्तो पुण साहू संपत्तीए अवहयो अ॥ 23 // प्र०) पुवीयाउकाए तेऊवाऊवणस्मइतसाणं / पडिलेहणमाउत्तो छराहंधाराहयो होइ // 275 // जोगो जोगो जिणसासणंमि दुक्खक्खया पउंजते। श्रगणोरणमवाहाए असवत्तो होइ कायब्वो // 276 // जोगे जोगे जिणसासणं मे दुक्खरखया पजते / एवकेक्कमि अणंता वट्टता केवली जाया // 277 // एवं पडिलेहंता अईयकाले अणंतगा सिद्धा। चोयगवयणं सययं पडिलेहेमो जयो सिद्धी // 278 // सेसेसु बट्टतो पडिलेहंतोवि देसमाराहे / जइ पुण सव्वाराहणमिच्छसि तो णं निसामेहि // 27 // पंचिंदिएहिं गुत्तो मणमाईतिविहकरणमाउत्तो / तवनियमसंजमंमिश्र जुत्तो पाराधनो होइ // 280 // ___ (भा०) इंदियविसयनिरोहो पत्तेमुवि रागदोसनिग्गहणं / अकुसलजो. गनिरोहो कुसलोदय एगभावो वा // 167 // अम्भितरवाहिरगं तवोवहाणं दुवालसविहं तु / इंदियतो पुव्वुत्तो नियमो कोहाइओ बिइओं // 168 //

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