Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 170
________________ मीमो. जोधनियुक्तिः [ 11 गमिस्सामो // 174 // तदुभय सुत्तं पडिलेहणा य उग्गयमणुग्गए वावि / पडिछाहिगरणतेणे न8 खग्गूड संगारो // 175 // (भा०) पडिलेहंतचिअ बैंटियाउ काऊण पोरिसि करिति / चरिमा उग्गाहेउ सोचा मज्झण्हि वच्चति // 79 // तिहिकरणं मे पसत्थे नक्खत्त अहिवइस्स अणकूले / घेत्तण निति वसभा अक्खे सउणे परिवखंता // 80 // वासस्स य आगमणे अवसउणे पहिआ निवत्तंति / ओभावणा पवयणे आयरिआ मग्गओ तम्हा // 8 // मइल कुचेले अभंगिएल्लए साण खुजवडभे या। एए उ अप्पसत्था हवंति खित्ताउ निंताणं // 82 // नारी पोवरगम्भा वडकुमारी य कहभारो अ / कासायवत्थ कुच्चंधरा य कज्जं न साहेति // 83 // [चक्कयरंमि भमाडोभुवखामारो य पंडुरंगंमि / तच्चन्नि रुहिरपडणं बोडियमसिए धुवं मरणं) जंबूअ चासमऊरे भारदार तहेव नउले अ ।दसणमेव पसत्थं पयाहिणे स वसंपतो // 84 // नंदी तूरं पुण्णस्स दंसणं संखपडहसदो य / भिंगारछत्तचामर धयप्पडागा पसत्थाई // 85 // समणं संजयं दंतं सुमणं मोयगा दहिं / मोणं घंट पहागं च सिडमत्थं विआगरे // 86 // सेजातरेऽणभासइ आयरिओ सेसगा चिलिमिलीए / अंतो गिण्हन्तुवहिं सारविअपडिस्सया पुचि // 87 // बालाई उवगरणं जावइयं तरति तत्तिअंगिण्हे / जहण्णण जहाजायं सेसं तरुणा विरिंचिंति // 88 // आयरिओवहि पालाइयाण गिण्हति संघयणजुत्ता। दो सोत्ति उणिसंथारए य गहणेक्कापासेणं // 89 // आउज्जोवण वणिए अगणि कुडुवो कुकम्म कम्मरिए / तेणे मालागारे उभामग पंथिए जते // 90 // ___संगार बीय वसही तइए सराणी चउत्थ साहम्मी / पंचनगंमि अ वसही छ8 ठाणट्ठियो होति // 176 // - आओसे संगारो अमुई वेलाए निग्गए ठाणं / अमुगत्थ वसहिभिवस्वं पीओ खग्गूडसंगारो // 91 // रत्तिं न चेव कप्पइ नीयदुवारे। विराहणा दुविहा / पण्णवण बहुतराणे आणच्छ बीउव्व उवही वा // 92 // सुवणे वीसुवघातो पडियशंतो अ आ उ न मिलेज्जा। जग्गण अप्पडिबज्जण जइवि चिरेणं न उवहम्मे // 93 // ____पुरो माझे तह मग्गयो य ठायंति खित्तपडिलेहा / दाइंतुचाराई भारासगणाहरक्खट्टा // 177 // डहरे भिक्खग्गामे अंतरगामंमि A0

Loading...

Page Navigation
1 ... 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226