Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमती अधनियुक्तिः ]. बाहि हिंडंति // 215 // संघाडंगसंजोगो श्रागंतुगभदएयरे बाहिं / आगंतुगा व बाहिं वत्थव्वगभदए हिंडे // 216 // वित्थिराणा खुड्डुलिया पमाण जुत्ता य तिविह वसहीो / पढमबिइयासु ठाणे तत्थ य. दोसा इमे होति // 217 // खरकम्मिश्रवाणियगा कप्पडिय सरक्खगा य वंठा य / संमी तावासेण दोसा य हवंति णेगविहा // 218 // श्रावासगहिकरणे तदुपा उबारकाइ पनिरोहे। संजयायविराहण संका तेणे नपुंसित्थी // 211 // श्रावासयं करिते पवंचए झाणजोगवाघायो / असहण अपरिणया वा भायणभेयो य छकाया // 220 // सुत्तत्थकरण नासो करणे उड्डुचगाइ अहिंगरणं / पासवणिपरनिरोहे गेलन्नं दिट्ठि उड्डाहो // 221 // मा दिच्छहिंति तो अप्पडिलिहिए (थंडिल्ले) दूर गंतु वोसिरति / संजमश्रायविराहणगहणं श्रारविखतेणेहिं // 222 // श्रोग.यपमजमाणं दट्ठ तेणे ते पाहणे कोई / सागारिश्रसंघट्टण अपुमेस्थी गेराह साहः वा // 223 // पोरालसरीरं वा इत्थि नपुंसा बलावि गेराहति / साहाए ठाणे निते श्रावडणपडणाई // 224 // तेणोत्ति मराणमाणो इमोवि तेणोत्ति श्रावडइ जुद्धं / संजमश्रायविराहण-भोयणभेयाइणो दोसा / / 225 // तम्हा पमाण जुत्ता एवके.व.म्स उ तिहत्थसंधारो। भायणसंथारं. तर जह वीसं अंगुला हुँति // 226 // मजारमूमगाइ य (नवि) वारे नवि श्र जाणुवट्टणया। दो हत्था य अबाहा नियमा साहुस्स साहूयो // 227 // भुत्ताभुत्तसमुत्था भंडणदोसा य वजिया एवं / सीसंतेण व कुड्तु हत्थं (तिहत्थं) मोत्तूण ठायंति // 228 // पुव्वुहिट्ठो उ विही इहवि वसंताण होइ सो चेव / श्रासज तिनि वारे निसन्न अाउंटए सेसा // 221 // श्रावस्सियमासज्जं नीइ पमज्जंतु जाव उ च्छन्नं / सागारिय तेणुभामए य संका तउ परेणं // 230 // नत्थि उ पमाणजुत्ता खुडलिया चेव वसति जयणाए। पुरहत्थ पच्छ पाए पमज जयणाए निग्गमणं
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