Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 172
________________ श्रीमती अधनियुक्तिः / दुविहा विराहणा जा य उवहिणा उ विणा / गुम्मियगहणाऽहणणा गोणाईचमढणा चेव // 113 // फिडिए श्राणांगणारण तेण य रायो दिया य पंथंमि / साणाइ वेमकुत्थिय तवोवणं मूसिया जं च // 114 // अप्पडिलेहिअ-कंटाविलंमि संथारगंमि अायाए। छकायसंजमंमि श्र चिलिणे सेह नहाभावो // 115 // कंटगथाणुगवालाविलंमि जइ वोसिरेज यायाए / संजमयो छकाया गमणे पत्ते अइंते य // 116 // मुतनिरोहे चक्खू बच्चनिरोहेण जीवियं चयइ / उहनिरोहे को? गेलन्नं वा भवे तिसुवि // 167 // जइ पुण वियाल पत्ता पए व पत्ता उवस्सयं न लभे। सुन्नघरदेउले वा उज्जाणे वा अपरिभोगे // 118 // आवाय चिलिमिणीए रगणे वा निभए समुदिसणं / सभए पच्छन्नाऽसइ कमढय कुरुरा य संतरिया // 111 // कोट्ठग सभा व पुब् िकाले वियाराइ-भूमिपडिलेहा / पच्छा अइंति रत्तिं पत्ता वा ते भवे रत्तिं // 200 // गुम्मियभेरूण समणा निभय बहिठाण वसहिपडिलेहा / सुनघर पुब्वभणियं कंचुग तह दारुदंडेणं // 201 // संथारगभूमितिगं थायरियाणं तु सेसगाणेगा। रुंदाए पुप्पइन्ना मंडलिया श्रावली इयरे // 202 // संथारग्गहणाए वेंटियउक्खेवणं तु कायव्वं / संथारो घेत्तवो मायामयविप्पमुक्केणं // 20 // पोरिसियापुच्छणया सामाइय उभयकायपडिलेहा / साहणिय दुवे पट्टे पमज भूमि जयो पाए // 204 // अणुजाणह संथारं बाहुवहाणेण वामपासेणं / कुक्कुडिपायपसारण अतरंत पमजए भूमि // 205 // संकोए संडासं उव्वत्तंते य कायपडिलेहा। दवाईउपयोगं णिस्सासनिरंभणाऽऽलोयं // 206 // दारं जा पडिलेहे तेणभए दोगिण सावए तिरिण / जइ य चिरं तो दारे अराणं ठावेत्तु पडियरइ // 207 // श्रागम्म पडिक्कतो अणुपेहे जाव चोदसवि पुव्वे / परिहाणि जा तिगाहा निदपमायो जढो एवं // 208 // अतरंतो व. निवज्जे असंथरंतो अ पाउणे एक्कं /

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