Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
________________ 104 - श्रीमदागमसुधासिन्धु / द्वादशमो विभागः / उवट्ठिए / णेयाउपस्स मग्गस्स, अवगारंमि वट्टई // 4 // जिणाणं णंतणाणीणं, अवण्णं जो 3 भासइ / आयरियउवज्झाए खिसई मंदबुद्धीए // 5 // तेसिमेव य णाणीणं, संमं नो पडितप्पइ / पुणो पुणो अहिंगरणं, उप्पाए तित्थभेयए // 6 // जाणं आहमिए जोए, पउंजइ पुणो पुणो / कामे वमित्ता पत्थेइ इहऽन्नमविए इव // 7 // भिक्खूणं बहुसुएsहंति, जो भासइबहुस्सुए / तहा य अतवस्सी उ. जो, तवस्सित्तिऽहं वए // 8 // जायतेएण बहुजणं, अंतोघूमेण हिंसइ / अकिच्चमप्पणा काउं कयमेएण भासइ // 6 // नियडुवहिपणिहीए पलिउंचे, साइजोगजुत्ते य / बेइ सव्वं मुसं वयसि, अक्खीणझंझए सया // 10 // अद्धाणमि पवेसित्ता, जो धणं हरह पाणिणं / वीसंभित्ता उवाएणं, दारे तस्सेव लुब्बई / // 11 // अभिक्खमकुमारेहिं कुमारेऽहंति भासइ / एवं अबंभयारीवि वंभयारित्तिऽहं वए // 12 // जेणेविस्सरियं णीए, वित्ते तस्सेव लुब्भई / तप्पभावुट्ठिए वावि, अंतरायं करेइ से // 13 // सेणावई पसत्थारं, भत्तारं वावि हिंसई / रहस्स वावि निगमस्स, नायगं सेडिमेव वा // 14 // अपस्समाणो पस्सामि, अहं देवेत्ति वा वए / अवम्णेणं च देवाणं महामोहं पकुव्वइ // 15 // पडिसेहेण संठाणवण्णगंधरसफासवेए य / पणपणदुपणट्ठतिहा इगतीसमकायसंगरुहा // 1 // अहवा कंमे णव दरिसणंमि चत्तारि आउए पंच / प्राइम अंते सेसे दोदो खीणभिलावेण इगतीसं // 1 // आलोयणा निरवलावे, श्रावईसु य दधम्मया / अणिस्सिअोवहाणे य सिखा णिपडिवम्मया // 1288 // अण्णायया अलोहे य तितिक्खा अजवे सुई / सम्मदिट्ठी समाही य यायारे विणग्रोवए // 81 // धिई मई य संवेगे पणिही सुविहि संवरे / अत्तदोसोवसंहारो सव्वकामविरत्तिया // 1210 // पञ्चक्खाणां विउस्सग्गे अप्पमाए लवालवे / झाणसंवरजोगे य उदए मारणंतिए // 11 // संगाणं च परिगणा पायच्छित्तकरणे इय / श्राराहणा य मरणंते बत्तीसं जोगसंगहा // 12 // उज्जेणि अट्टणे खलु सीहगिरिसोपारए य पुहइवई / मच्छियमल्ले दूरलकूविए फलिहमल्ले य॥ 13 // दंतपुरदंतचक्के सच्चवदी दोहले य वणयरए / धणमित्त धणसिरी य पउमसिरी चेव दढमिनो // 14 // उजणीए धणवसु अणगारे - धम्मघोस
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