Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 16) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वादशमो विभाग उग्गमदोसाईणं कहणा उप्पायणेसणाणं च। तत्थ उ नत्थी सुन्ने बाहिं सागार कालदुवे // 14 // (भा०) फेडेन व सइ कालं संखडि घेत्तूण वा पए गच्छे / मुण्णघराइपलोअण चेइअ आलोयणाऽषाहं // 52 // उग्गम एसणकहणं न किंचि करणिज अम्ह विहिदाणं / कस्सट्ठा आरंभो तुझेसो ? पाहुणा डिंभा // 53 // रसवइपविसण पासण मिअममिअमुवक्खडे तहा गहणं / पजत्ते तत्थेव उ उभएगयरे य ओयविए // 54 // असइ अपजत्ते वा सुण्णघराईण पाहि संसद्दे / लट्ठोइ दारघट्टण पविसण उस्सग्ग आसत्थे // 55 // आलोभणमालावो अदि मिवि तहेव आलावो / किं उल्लावं न देसो ? अदिट्ठ निस्संकिअं भुजे / 56 // दिट्ठ असंभम पिंडो तुज्झवि य इमोत्ति साह वेउव्वी। सोवि अगारी दोहा नोइ पिसाउत्ति काउणं // 57 // तिव्वेण व मालेण व वाउपवेसेण अहव सढयाए / गमणं च कहण आगम दूरभासे विही इणमो॥५८॥ थोवं भुजा बहुअं विगिंचई पउमपत्तपरिगुणणं / पत्तेसु कहिं भिक्खं ? दिठमदिठे विभासा उ // 59 // अद्दिष्टे किं वेला ? तेसि निबंधमि दायणे खिंसा / ओहामिओ उ बडुओ वण्णो अ पहाविओ तहि // 60 // सुण्णवरासइ चाहिं देवकुलाईसु होइ जयणा उ / तेगिच्छिधाउखोभो मरणं अणुकंपपडिअरणं // 61 // इरियाइ पडिव कंतो परिगुणणं संधिआ भि का गुणिआ ? / अम्हं एसुवएसो धम्मकहा दुविहपडिवत्ती // 62 // थंडिल्लासइ चोरं निवायसंरक्षणाइ. पंचेव / सेसं जा थंडिल्लं असईए अग्णगामंमि // 63 // अपहुपते काले तं चेव दुगाउयं नइकामे। गोमुत्तिअदवाइसु भुजह अहवा पएसेसु॥६४ // . दिट्ठमदिट्ठा दुविहा नायगुणा चेव हुँति अनाया / अहिट्ठावि श्र दुविहा सुश्रमसुत्र पसत्थमपसत्था // 15 // दिट्ठा व समोसरणे. न य नायगुणा हवेज ते समणा / सुश्रगुण पसत्य इयरे समणुनिअरे य सब्वेवि // 16 // जइ सुद्धा संवासो होइ असुद्धाण दुविह पडिलेहा / श्रभितरबाहिरिया दुविहा दब्वे श्र भावे श्र॥ 17 // घट्ठाइतलिदंडग पाउय संलग्गिरी अणुवश्रोगो। दिसि पवणगामसूरिश्र वितहं उच्छोलणा दव्वे // 18 // विकहा हसिउग्गाइय भिन्नकहाचकवाललिकहा / माग सतिरि.

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