Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ [147 भीमती औषनियुक्तिः ] श्रागर दाय एवापरणमा भारे // 11 // बाहिं जइवि असुद्धा तहावि गंतूण गुरुपरिक्खा उ। अहव विसुद्धा तहवि उ अंतो दुविहा उ पडिलेहा // 100 // पविसंतनिमित्तमणेसणं व साहइन एरिसा समणा।अम्हंपि ते कहती कुक्कुडखरियाइठाणं च // 101 // दव्वंमि ठाणफलए सेजासंथारकायउच्चारे / कंदप्पगीयविकहा वुग्गहकिड्डा य भावंमि // 102 // संविग्गेमु पवेसो संविग्गऽमणुन बाहि किइकम्मं / ठवणकुलापुच्छणया एत्तोच्चित्र गच्छ गविसणया // 103 // संविग्गसंनिभद्दग सुन्ने निइयाइ मोत्तु हाच्छंदे / वच्चंतस्सेतेसु वसहीए मग्गणा होई ॥१०४॥वसही समणुराणेसु निइयादमणुराण अरणहि निवेए / संनिगिहि इत्थिरहिए सहिए वीसुघरकुडीए॥१०॥ अहुणुब्बासिथ सकवाड निबिले निचले वसइ सुराणे / अनिवेइएयरेसिं गेलन्ने न एस अम्हंति // 106 // नीयाइअपरिभुत्ते सहिएयर पक्खिए व सज्झाए / कालो सेसमकालो वासो पुण कालचारीसु // 107 // तेण परं पासस्थाइएसु न य वसइकालचारीसु / गहियावासगकरणं गणं गहिएणऽगहिएणं // 108 // निसिय तुयट्टण जग्गण विराहणभएण पासि निविखवइ। पासस्थाईणेवं निइए नवरं अपरिभुत्ते // 101 / एमेव ग्रहाच्छंदे पडिहणणा भाण अज्झयण कन्ना / गणट्ठियो निसामे सुवणाहरणा य गहिएणं // 110 // असिवे श्रोमोयरिए रायदु? भए नदुट्टाणे / फिडिअगिलाणे कोलगवासे ठाणट्ठियो होइ // 111 // तत्थेव अंतरा वो असिवादी सोउ परियस्सऽसई / संचिक्खे जाव सिवं अहवावी ते तयो फिडिया // 112 // . (भा०) पुण्णा व नई घउमासवाहिणी नवि अ कोइ उत्तारे / तत्यंतरा व देसी व उढिओ न य ल भइ पवत्तो // 65 // फिडिएसु जा पवित्तो सयं गिलाणो परं व पडियरइ / कालगया व पवत्ती ससंकिए जाव निस्संकं // 66 // वासासु उभिरणा बीयाई तेण अंतरा चिट्टे / तेगिच्छि भोइ सारखणहट्टे गणमिच्छति // 113 // संविग्गसंनिभदग अहप्पहाणेसु भोइ
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