Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 165
________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वादशमो विभाग:यघरे वा / ठवणा पायरियस्सा सामायारी पउंजण्या // 114 // एवं ता कारणियो दूइज्जइ जुत्त अप्पमाएणं / निकारणियं एत्तो चइयो पाहिडियो चैव // 115 // जह सागरंमि मीणा संखोहं सागरस्स असहंता / निति तो सुहकामी निग्गयमित्ता विनस्संति // 116 // एवं गच्छसमुद्दे सारणवीईहिं चोइया संता। निति तयो सुहकामी मीणा व जहा विणसंति // 117 // उवएस अणुवएसा दुविहा बाहिंडया समासेणं / उवएस देसदसण अणुवएसा इमे होंति // 118 // चक्के थूभे पडिमा जम्मण निक्खमण नाण निव्वाणे / संखडि विहार थाहार उवहि तह दंमणट्टाए // 111 / / इते अकारणा संजयस्स असमत्त तदुभयस्स भवे / ते चेव कारणा पुण गीयस्थविहारिणो भणिया // 120 // गीयत्थो य विहारो बिइयो गीयत्थ. मीसियो भणियो। एत्तो तइथ विहारो नाणुनायो जिणवरेहिं // 121 // संजमयाय विराहण नाणे तह दंसणे चरित्ते श्र। प्राणालोव जिणाणं कुव्वइ दीहं तु संसारं // 122 // __ (भा.) संजमओ छक्काया ओयाकंटऽहिऽजोरगेलन्ने / नाणे नागायारो देसण चरगाइवुग्गाहे // 67 // गावि होति दुविहा कारणनिकारणे दुविहभेयो। जं एत्थं नाणत्तं तमहं वोच्छं समासेण // 123 // जयमाणा विहरंता योहाणाहिंडगा चउहा उ। जयमाणा तत्थ तिहा नाणट्ठा दंसणचरित्ते // 124 // (जयमाणा खलु एवं तिविहा उ समासो समक्खाया / विहरताविय दुविहा गच्छगया निग्गया चेव // 4 // ) पत्तेयबुद्ध जिणकप्पिया य पडिमासु चेव विहरता / पायरियथेरवसभा भिक्खू खुड्डा य गच्छमि // 125 // श्रोहावंता दुविहा लिंगविहारे य होंति नायव्वा। लिंगेणऽगारवासं नियया श्रोहावण विहारे // 126 // उवएस अणुवएसा दुविहा श्राहिंडया मुणेयवा। उबएसदेसदसण थूभाई हुँतिऽणुवएसा // 127 // पुराणंमि मासकप्पे

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