Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 161
________________ 14] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु द्वादशनों विभागा परिकहणं / थेरीतरुणिविभाला निमंतऽणाबाहपुच्छा य // 76 // सिट्ठसि सहू पडिणीयनिग्गहं अब अराणहिं पेसे / उवएसो दावणया गेलन्ने वेजपुच्छा अ॥ 77 // तह चेव दीवण चउक्कएण अन्नत्थवसहि जा पढमा। तह चेवेगाणीए भागाढे चिलिमिली नवरं // 78 // निक्कारणियं चमढण कारणियं नेइ अहव अप्पाहे / गमणित्थि मीससंबंधिवजए असइ एगागी // 79 // एगबहूसमणुराणाण वसहीए जो अ एगग्रमणुनो। श्रमणुन्न संजईण य अरणहि एक चिलिमिलीए // 80 // विहिपुच्छाए पवेसो सरिणकुले चेइ पुच्छ साहम्मी / अन्नत्थ अस्थि इह ते गिलाणकज्जे अहिवडंति // 81 // सव्वंपि न घेत्तव् निमंतणे जं तहिं गिलाणस्स / कारणि तस्स य तुझ य विउलं दव्वं तु पाउग्गं // 82 // जाए दिसाए गिलाणो ताए दिसाए उ होइ पडियरणा / पुव्वभणियं गिलाणो पंचराहवि होइ जयणाए॥८३॥ (भा०) तेसि पडिच्छण पुच्छण सुट्ठ कयं अत्थि नत्थि वा लंभो / खरगूडे विलओलणदाण-मगिच्छे तहिं नयणं // 35 // पंतं असहू करित्ता निवेयणं गहण अहव समणन्ना / खग्गूड देहि तं चिअ कमढग तस्सप्पणो पाए // 36 // किं कीरउ ? जं जाणसि अतरंति सढेत्ति वच्च तं भंते ! / निहम्मा न करेंती करणमणालोइय सहाओ // 37 // उभओ निद्धम्मसु फासुपडोआर इयरपडिसेहो। परिमिअदाण विसज्जण सच्छंदोळ सणा गमणं // 38 // एस गमो पंवाहवि होइ नियाइण गिलाणपडियरणे। फासुअकरणनिकायण कहण पडिक्कामणा गमगं // 39 // संभावणेऽविसदो देउलिअखरंटय जयण उवएसो। अविसेस निण्हगाणवि न एस अम्हं तओ गमणं // 40 // तारेहि जयणकरणे अमुगं आणेहकप्प जणपुरओ। नवि एरिसया समणा जणणाए तओ अवकमणं // 41 // चोअगवयणं आणा आयरिआणं तु फेडिआ तेणं / साहम्मिअकज्जबहुत्तया य सुचिरेणवि न गच्छे // 42 // तित्थगराणा चोयग ! दिढतो भोइएण नरवइणा / जग्गयं भोइअदंडिए अ घरदार पुवकए // 43 // रण्णो तणघरकरणं सचित्तकम्मं तु गामसामिस्स। दोपहंपि दंचकरणं विवरीयऽपणेणु

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