Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 155
________________ 138 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: द्वादश भी विभागः जेणिभर तिन्नि अणुओगा // 6 // चरणपडिवत्तिहेउं धम्मकहा कालदिक्खमाईआ। ददिए इंसण लुडा दसण बुद्धस्स चरणं तु // 7 // जह रणां विसएसु वयरे कणगे अ रयय लोहे अ / चत्तारि आगरा खलु चउण्ह पुताण ने दिन्ना // 8 // चिंता लोहागरिए पडिसेहं सो उ कुणइ लोहस्स / वयराईहि अ गहणं करिति लोहस्स तिन्नियरे // 9 // एवं चरणंमि ठिी करेइ गहणं विहाइ इयरेसिं / एएण कारणेणं हवइ उ चरणं महड्डोअं॥ 10 // अप्पक्खरं महत्थं ? महक्खरऽप्पत्थ 2 दोसुऽवि महत्थं 3 / दासुऽवि अप्पं च 4 तहा भणिअं सत्थं चउविगप्पं // 11 // सामायारो ओहे नाय झयणा य दिहिगाओ य / लोइअकप्पासाई अणुक्कमा कारगा चउरो // 12 // बालाईणणुकंपा संखडिकरगंमि होअगारोणं / ओमे य बायभत्तं रण्णा दिन्नं जणवयरू // 13 // एवं थेरेहिं इमा अप.वमाणाण पयविभागं तु / साहूणणुकंपट्टा उवइट्ठा ओहनिज्जुत्ती // 14 // ____ पडिलेहणं 1 च पिंडं 2 उवहिपमाणं 3 अणाययणवज्जं 4 / पडिसेवण 5 मालोयण 6 जह य विसोही 7 सुविहियाणं // 2 // श्राभोगमग्गण गवेसणा य ईहा अपोह पडिलेहा / पेक्खणनिरिक्खणावि अ पालोयपलोयणेगट्ठा // 3 // पडिलेहयो य. पडिलेहणा य पडिलेहियव्वयं चेव / कुभाइसु जह तियं परूवणा एवमिहयंपि // 4 // एगो व अणेगो वा, दुविहा पडिलेहगा समासेणं / ते दुविहा नायव्वा निकारणिया य कारणिया // 5 // असिवाई कारणिया निकारणिया य चक्यूमाई / तत्थेगं कारणियं वोच्छ टप्पा उ तिन्नियरे // 6 // असिवे श्रोमोयरिए रायभए खुहिय उत्तमढे अ / फिडिय गिनाणाइसए (णे अद्धसेस) देवया चेव यायरिए // 7 // (भा०) संवच्छरबारसरण होही असिवंति ते (तइ) तओ णिति / सुत्तत्थं कुवंता अइसयमाइहिं नाऊणं // 15 // अइसेस देवया वा निमित्तगहण स व सोसो वा / परिहाणि जाक पतं निग्गमणि गिलाणपडिबंधो // 16 // सजयगिहितदुभय भद्दिआ य तह तदुभयस्सवि अ पंता / चउवजण वोमु उवस्सए

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