Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 154
________________ ॥अहम् // श्रुतकेवलिश्रीमद्भद्रबाहुस्वामिविरचिता श्रीमत्पूर्वाचार्यविरचित-भाष्ययुता ॥श्रीमती अोघनियुक्तिः॥ -::नमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो पायरियाणं, णमो उबझायाणं, णमो लोए सब्बसाहूणं, एसो पंचनमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसि, पढमं हवइ मंगलं // 1 // (दुविहोवक्कमकालो समायारी अहाउयं चेव / सामाचारी तिविहा श्रोहे दसहा पयविभागे // 1 // नवमयपच्चक्खाणा-भिहाणपुव्वस्स तइय वत्थूयो / वीसइमपाहुडाथो तो इहानीणिया जइया // 2 // सो उवक्कमकालो तयत्थनिविग्यसिक्खणत्थं च / आईय कय चिय पुणो मंगलमारंभये तं च // 3 // प्र०) अरहते वंदित्ता उदसपुव्वी तहेव दसपुत्री। एक्कारसंगसुत्तत्थधारए सव्वसाहू य // 1 // श्रोहेण उ निज्जुतिं वुच्छ चरणकरणाणुयोगायो। अप्पक्खरं महत्थं अणुग्गहत्थं सुविहियाणं // 2 // जुयलं // ___ (भाष्य) ओहे पिंड समासे संखेवे चेव होंति एगट्ठा। निज्जुत्तत्ति प अत्था जं बहा तेण निज्जुत्ती // 1 // वय समणधम्म संजम वेयावच्चं च भगुत्तीओ। नाणाइतियं तव कोहनिग्गहाई चरणमेयं // 2 // पिंडविसोहो समिई भावण पडिमा य इदियनिरोहो। पडिलेहणगुत्तोओ अभिग्गहा चव करणं तु // 3 // चोदगवयणं छट्ठी संबंधे कीस न हवइ विभत्तो ? / तो पंचमी उ भणिया, किमत्थि अन्नेऽवि अणओगा // 4 // जत्तारि उ अणओगा चरणे धम्मगणियाणुओगे य / दवियणुजोगे य तहा अहकमं ते महिड्डीया // 5 // सविसयबलवत्तं पुण जुज्जइ तहविअ महिड्डिअं चरणं / चारित्तरक्खणड्डा

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