Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 146
________________ भीमदावश्यकत्रम् :: अध्ययनं 6 ] [ 126 य, इच्छापरिमाणस्स समणोवासएणं इमे पंच अश्यारा जाणियबा, तंजहा-धणधन्नपमाणाइकमे, खित्तवत्थुपमाणाइकमे हिरन्नसुवन्नपमाणाइकमे दुपयचउप्पयपमाणाइक्कमे कुवियपमाणाइक्कमे // 5 // सूत्रम् // ___दिसिवए तिविहे पन्नत्ते तंजहा-उड्ढदिसिवए अहोदिसिवए तिरियदिसिवए, दिसिवयस्स समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियवा, तं जहा-उढदिसिपमाणाइकमे अहोदिसिपमाणाइकमे तिरियदिसिरमाणाइकमे खित्तवुड्डी सइअंतरद्धा // 6 // सूत्रम् // उवभोगपरिभोगवए दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-भोप्रणयो कम्मश्रो श्र। भोप्रणयो समणोवासएणं इमे पंच अइयारा जाणियबा, तंजहा-सचित्ताहारे सचितपडिबद्धाहारे अपलियोसहिभक्खणया तुच्छोसहिभवखण्या दुप्पलियोमहिभक्खणया / कम्मयो णं समणोवासएणं इमाइं पन्नरस कम्मादाणाई जाणियव्या, तंजहा-इंगालकम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दंतवाणिज्जे लक्खवाणिज्जे रसवाणिज्जे केसवाणिज्जे विसवाणिजे, जंतपीलणकम्मे निल्लंकणकम्मे दवग्गिदावणया सरदहतलायसोसणया असई. पोसणया // 7 // सूत्रम् // - अणत्थदंडे चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-अवज्झाणायरिए पमत्तायरिए हिंसप्पयाणे पात्रकम्मोवएसे, अणत्थदंडवेरमणस्स समणोनासएणं इमे पंच अइयारा जाणियव्वा, तंजहा-कंदप्पे कुक्कुइए मोहरिए संजुत्ताहिगरणे उवभोगपरिभोगाइरेगे // // सूत्रम् // सामाइयं नाम सावजजोगपरिवजणं निरवजजोगपडिसेवणं / / सिक्खा दुविहा गाहा उववाय ठिई गई कसाया य / बंधता वेयंता पडिवजाइक्कमे पंच // 1 // सामाइयांमे उ कए समणो इव सावत्रो हवइ जम्हा / एएणं कारणेणं बहुसो सामाइयं कुजा // 2 // सव्वंति भागिऊणं विरई खलु जस्स सव्विया नस्थि / सो सव्वविरवाई चुक्कइ देसं च सव्वं च // 3 //

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