Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 12
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 131
________________ [भीमदागमयुगासिन्धुः यादवमो विमागा चिलिमिणी गंधे अन्नत्थ गंतु पकरति / वाघाइयकालंमी दंडग मरुया नवरि नत्थि // 15 // एएसामन्नयरेऽसज्झाए जो करेइ सज्झायं / सो प्राणायणावत्थं मिच्छत्त विराहणं पावे // 16 // श्रायसमुत्थमसज्झाइयं तु एगविध होइ दुविहं वा। एगविहं समणाणं दुविहं पुण होइ समणीणं // 17 // धोयंमि उ निप्पगले बंधा तिन्नेव हुति उकोसं / परिगलमाणे जयणा दुविहंमि य होइ काव्वा // 18 // समणो उ वणिव भंगदरिव्व बंधं करित्तु वाएइ / तहवि गलेते छारं दाउं दो तिनि बंधा उ // 11 // एमेव य समणीणं वर्णमि इअरमि सत्त बंधा उ / तहविय अठायमाणे धोएउं अहव अन्नत्य // 1420 // एएसामनयरेऽसज्झाए अप्पणो उ सज्झायं / जो कुण्इ अजयणाए सो पावइ अाणमाईणि // 21 // सुयनाणं मे अभत्ती लोअविरुद्धं पमत्तछलणा य / विजासाहणवइगुन्नधम्मया एव मा कुणसु // 22 // कामं देहावयवा दंताई अवज्जुया तहवि वजा / अणवज्जुश्रा न वजा लोए तह उत्तरे चेव // 23 // श्रभितरमललित्तोवि कुणइ देवाण प्रचणं लोए। बाहिरमललित्तो पुण न कुणइ अवणेइ य तयो णं // 24 // श्राउट्टि. यावराहं संनिहिया न खमए जहा पडिमा / इह परलोए दंडो पमत्तछलणा इह सिया उ॥ 25 // रागेण व दोसेण वऽसज्झाए जो करेइ सज्झायं / श्रामायणा व का से ? को वा भणियो अणारो // 26 // गणिसदमाइमहियो रागे दोसंमि न सहहे सह। सव्वमसज्झायमयं एमाई हुति मोहात्रो // 27 // उम्मायं च लभेजा रोगायक व पाउणे दीहं / तित्थहरभासियायो भस्सइ सो संजनायो वा // 28 // इहलोए फलमेअं परलोए फलं न दिति विजायो / पासायणा सुयस्स उ कुवइ दीहं च संसारं // 26 // असज्माइयनिज्जुत्ती कहिया भे धीरपुरिसपन्नत्ता / संजमतवडगाणं निग्गंथाणं महरिसीणं // 1430 // असज्झाइयनिज्जुत्तिं जुजंता चरणकणमाउत्ता। साहू खति कम्म अणेगभवसंचियमणंतं // 1431 // // इति अस्वाभ्यायिकनियुक्तिः // // इति प्रतिक्रमणाध्ययनम् // 4 //

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