Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01 Author(s): Jinendravijay Gani Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 9
________________ 142 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः निस्सिया॥१४॥ संति पंच महन्भूया, इहमेगेसि ग्राहिया / पायलट्ठो पुणो बाहु, पाया लोगे य सासए // 15 // दुहयो ण विणस्संति, नो य उप्पज्जए असं / सव्वेऽवि सव्वहा भावा, नियत्तीभावमागया // 16 // पंच खंधे वयंतेगे, बाला उ खणजोइणो। अगणो अणराणो गोवाहु, हेयं च अहेउयं // 17 // पुढवी ग्राउ तेऊ य, तहा वाऊ य एगयो / चनारि धाउणो रूवं, एवमाहंसु बावरे // 18 // अगारमावसंतावि, परराणा वावि पव्वया / इमं दरिसणमावराणा, सव्वदुक्खा विमुच्चई // 16 // ते णावि संधिं णच्चा गां, न ते धम्मवित्रो जणा / जे ते उ वाइणो एवं, न ते पोहंतराऽहिया // 20 // ते णावि संधि णच्चा गां, न ते धम्मवियो जणा / जे ते उ वाइणो एवं, न . ते संसारपारगा // 21 // ते णावि संधि णच्चा णं, न ते धम्मविश्रो जणा / जे ते उ वाइणो एवं, न ते गब्भस्स पारगा // 22 // ते णावि संधि णच्चा णं, न ते धम्मवियो जणा / जे ते उ वाइणो एवं, न ते जम्मस्त पारगा // 23 // ते णावि संधिं णच्चा णं, न ते धम्मवियो जणा / जे ते उ वाइणो एवं, न ते दुक्खस्स पारगा // 24 // ते णावि संधिं णच्चा णं, न ते धम्मवियो जणा / जे ते उ वाइणो एवं, न ते मारस्स पारगा // 25 // नाणाविहाई दुक्खाई, अणुहोति पुणो पुणो / संसारचकवालंमि, मच्चुवाहिजराकुले // 26 // उच्चावयाणि गच्छंता, गम्भमेस्संति णंतसो / नायपुत्ते महावीरे, एवमाह जिणोत्तमे // 27 // इति बेमि // // इति प्रथमाध्ययने प्रथमोद्देशकः // 1-1 // // अथ प्रथमाध्ययने द्वितीय उद्देशकः // अाघायं पुण एगेसिं, उववराणा पुढो जिया / वेदयंति सुहं दुक्खं, अदुवा लुप्पंति ठाणयो // 1 // न तं सयं कडं दुक्खं, कयो अन्नकडं च णं ? / सुहं वा जइवा दुक्खं, सेहियं वा असेहियं // 2 // सयं कडं नPage Navigation
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