Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 02 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 8
________________ गो, थवान्न थणुजागाइ, तमन्तमचित्तं वादा / किमाह बंधा // अहम् // गणधरदेव श्रीमत्सुधर्मस्वामिनिर्मितं // श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् // // अथ समयाख्ये प्रथमाध्ययने प्रथमोद्देशकः // ___बुझिजति तिउ(तिकुट्टिजा, बंधणं परिजाणिया / किमाह बंधणं वीरो, किंवा जाणं तिउट्टई ? // 1 // चित्तमन्तमचित्तं वा, परिगिझ किसामवि / अन्नं वा अणुजाणाइ, एवं दुक्खा ण मुच्चइ // 2 / सयं तिवायए पाणे, अदुवाऽन्नेहिं घायए / हगांतं वाऽणुजाणाइ, वेरं वडदइ अप्पणो // 3 // जस्सिं कुले समुप्पन्ने, जहिं वा संवसे नरे। ममाइ लुप्पई बाले, अराणे अराणेहि मुच्छिए // 4 // वित्तं सोयरिया चेय, सव्वमेयं न ताणइ / संखाए जीवियं चेवं, कम्मुणा उ तिउट्टइ // 5 // एए गंथे विउक्कम्म, एगे समणमा. हणा / अयागांता विउस्सित्ता, सत्ता कामेहि माणवा // 6 // संति पंच मह. भूया, इहमेगेसिमाहिया / पुढवी ग्राउ तेऊ वा, वाउ अागासपंचमा // 7 // एए पंच महन्भूया, तेव्भो एगोत्ति श्राहिया / यह तेसिं विणासेगां, विणासो होइ देहिणो // 8 // जहा य पुढवीथूभे, एगे नाणाहि दीसइ / एवं भो ! कसिणे लोए, विन्नू नाणाहि दीसइ (वडदइ) // 6 // एवमेगेत्ति जप्पंति, मंदा प्रारंभणिस्सिया। एगे किच्चा सयं पावं, तिव्वं दुवखं (तेणां तिव्वं) नियच्छ। // 10 // पत्तेयं कसिणे पाया, जे बाला जे य पंडिया / संति पिचा न ते संति, नत्थि सत्तोववाइया // 11 // नत्थि पुराणे व पावे वा, नत्थि लोए इतो वरे। सरीरस्त विणासेगां, विणासो होइ देहिणो // 12 // कुव्वं च कारयं चेव, सव्वं कुव्वं न विजई / एवं अकारो अप्पा, एवं ते उ पगम्भिया 13 // जे ते उ वाइणो एवं, लोए तेसिं कयो सिय!। तमाश्रोते तमंजंति, मंदा प्रारंभ

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