Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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२ दुविहं पं० तं०-आगमतोय नोआगमतो यो२२से किं आगमतो भावावस्सयं?,२ जाणए उवउत्ते,सेतं आगमतो भावावस्सयं १२३1 से किं तं नोआगमतो भावावस्सयं?, २ तिविहं पण्णत्तं, तंजहा लोइयं कुप्यावयणियं लोगुत्तरियं १२४ से किं तं लोइयं भावावस्सयं?, २ पुवण्हे भारहं अवरण्हे रामायणं, से तं लोइयं भावावस्सयं ।२५। से किं तं कुप्यावयणियं भाववस्सयं?, २ जे इमे चगचीरिगजावपासंडत्था इज्जंजलिहोमजपोन्दुरुक्कनमोक्कारमाइआई भावावस्सयाई रेंति, से तं कुप्यावयणियं भावावस्सयं २६ से किं तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं?, २ जण्णं इमे समणे वा सभणी वा सावओ वा साविआ वा तच्चित्ते तभ्मणे तल्लेसे तदझवसिए तत्तिवझवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदपिअकरणे तब्भावणाभाविए अण्णत्थ कत्थई मणं अकोमाणे उभओकालं आवस्सयं करेंति, से तं लोगुत्तरियं भावावस्मयं, से तं नोआगमतो भावावस्सयं, से तं भावावस्सयं १२७तस्स णं इमे एगट्ठिया णाणाघोसा णाणावंजणा णामधेजा भवंति, तंजहा आवस्मयं अवस्संकरणिज्जं धुवनिग्गहो विसोही यो अज्झयणछक्कवग्गो नाओ आराहणामग्गो ॥२॥ समणेणं सावएण य अवस्सकायव्वयं हवइ जम्हा। अंतो अहोनिसस्स य तम्हा आवस्सयं नाम ॥३॥ से तं आवस्सयं १२८) से किं तं सुतं?, २ चव्विहं पं० २०-नामसुयं ठवणासुयं दव्वसुयं भावसुयं १२९॥ से किं तं नामसुयं?, २ जस्स णं जीवस्स वा जाव सुएत्ति नाम जइ, से तं नामसुयं ३० से किं तं ठवणासुयं?, जंणं कट्ठकम्मे वा जावठवणा ठविज्जइसे तंठवणासुयं, नामठवणाणं को पइविसेसो?, नाम आवकहियं ठवणा इत्तरिया वा होज्जा || श्री अनुयोगद्वारसूत्र।
पू. सागरजी म. संशोधित
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