Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsur Gyanmandir सा आगता साऽऽगता दधि इदं दधीदं नदी इह नदीह मधु उदकं मधूदकं वधू ऊढा वधूढा, से तं विगारेणं, सेतं चनामे। १२४ से किं तं पंचनामे?, २ पंचविहे पं००-नाभिकं नैपातिकं आख्यातिक औपसर्गिकं मिश्र, अश्व इति नाभिकं खल्विति नैपातिकं धावतीत्याख्यातिकं परीत्यौपसर्गिकं संयत इति मिश्र, से तं पंचनामे।१२५से किं तं छण्णाभे?, २ छविहे पं० २०-उदइए उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणाभिए संनिवाइए, से किं तं उदइए?, २ दुविहे पं० तं०-उदइए य उधयनिप्पण्णे य, से किं तं उदइए?, २ अट्ठण्हं कम्मपयडीणं उदएणं, से तं उदइए, से किं तं उदयनिष्फो ?, २ दुविहे पं० २० जीवोदयनिष्फने य अजीवोदयनिष्फने य, से किं तं जीवोदयनिष्फन्ने? २ अनेगविहे पं० २०-णेरइए तिरिक्खजोणिए मणुस्से देवे पुढवीकाइए जाव तसकाइए कोहकसाई जाव लोहकसाई इत्थीवेदए पुरिसवेयए णपुसंगवेदए कण्हलेसे जाव सुक्कलेसे मिच्छादिट्ठी० अविरए असण्णी अण्णाणी आहारए छउमत्थे सजोगी संसारत्थे असिद्धे,सेतं जीवोदयनिष्फन्ने, से किं तं अजीवोदयनिष्फन्ने?,२ अणेगविहे पं० २०-उरालिअंवा सरीरं उरालिअसरीरपओगपरिणामियं वा दव्वं वेव्वियं वा सरीरं वेउव्वियसरीरपओगपरिणामियं वा दव्वं, एवं आहारगसरीरं तेयगसरीरं कम्मगसरीरं च भाणिअव्वं, पओगपरिणामिए वण्णे गंधे रसे फासे, से तं अजीवोदयनिष्फण्णे, से तं उदयनिष्फण्णे, से तं उदइए। से किं तं उवसमिए?, २ दुविहे पं० २०-उवसमे य उवसमनिप्पण्णे य, से किं तं उवसभे?, २ मोहणिजस्स कम्मरस उवसमेणं, सेतं उवसमे, से किं तं उवसमनिष्फण्णे?,२ अणेगविहे पं०२०-उवसंतकोहे जाव उवसंतलोभे ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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