Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobalrm.org
Acharya Shet Kalashsagarsun Gyarmandir
आयामविक्खंभोच्चत्तोव्येहपरिक्खेवा मविजंति, से समासओ तिविहे पं० २०-सेटीअंगुले पयरंगुले पणंगुले, असंखेज्जाओ|| जोयणकोडाकोडीओ सेटी. सेटी सेडीए गुणिया पयरं, पयर सेटीए गुणियं लोगो. संखेज्जएणं लोगो गुणिओ संखेज्जा लोगा, असंखेजएणं लोगो गुणिओ असंखेज्जा लोगा, अणंतेणं लोगो गुणिओ अणंता लोगा, एएसिं णं सेढीअंगुलपयरंगुलपणंगुलाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पेवा बहुए वा तुले वा विसेसाहिए वा?. सव्वथोवे सेडिअंगुले पयरंगुले असंखेज्वगुणे घणंगुले असंखिजगुणे, से तं पमाणंगुले, से तं विभागनिष्फण्णे, से तं खेतप्पमाणे १३३॥ से किं तं कालप्पमाणे?, २ दुविहे पं० २०-पएसनिष्फण्णे अविभागनिष्फण्णे यो१३४।से किं तं पएसणिफण्णे?, २ एगसमयटिइए दु० ति० जाय दस० संखेज्ज० असंखिज्जसमयहिए, से तं पएसनिष्फण्णे॥१३५1 से किं तं विभागनिष्फण्णे?, समयाऽऽवलिभ मुहुत्ता दिवस अहोरत पक्ष मासा यो संवच्छर जुग पलिआ सागर ओसप्पि परिअहा ॥१०३॥ १३६ोसे किंतंसमए?,समयस्सणं परवणं करिस्सामि, से जहानामए तुण्णागदारए सिआ तरूणे बलवं जुग जुवाणे अप्पातके विरग्गहत्थे दढपाणिपायपासपिटुतरोरुपरिणते तलजमलजुयलपरिघणिभवाहू चभ्मेलुगदुहणमुट्ठिअसमाहतनिचितगतकाए अस्सबलसमण्णागए लंघणपवणजाणवायामसमत्थे छेए दक्खे पत्तद्वे कुसले मेहावी निउणे निउणसिप्पोवगए एग महती पंडसाडियं (वा) पलसाडियं वा गहाय सयराहं हत्यमेनं ओसारेज्जा तत्य चोयए पण्णवयं एवं वयासी जेणं कालेणं देणं तुण्णागदारएणं तीसे पडसाडियाए वा पसाडियाए वा सयराहं हत्यमेत्ते ओसारिए से समए भवह?, ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्रा
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123