Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|| वेमाणिया अणंता सिद्धा, से एएणटेणं गो०! एवं वुच्चइ नो संखिज्जा नो असंखिजा अणंता १४१। कइविहा गं भंते! सरीय || पं०?, गो०! पंच सरीरा पं० तं०-ओरालिए वेविए आहारए तेयए कमभए, आणं भंते! कई सरीरा पं०?, गो०! तओ
सरीरा पं०२०-वेविए तेयए कम्मए, असुरकुमाराणं भंते! कइ सरीरा पं०?, गो०! तओ सरीरा पं०-३० तेय कम्मए, एवं तिण्णि २ एए चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणियव्वा, पुढवीकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पं०?, गो०! तओ सरीरा पं० तं०-ओरालिए तेयए कम्मए, एवं आउतेउवणस्सइकाइयाणऽवि एए चेव तिणि सरीरा भाणियव्वा, वाउकाइयाणं जाव गो०! चत्तारि सरीरापं० २०-उरालिए वेउविए तेयए कम्मए, बेइंदियतेइंदियचरिदियाणं जहा पुढवीकाइयाणं, पंचिंदिअतिरिक्खजोणियाणं जहा वाउकाइयाणं, मणुस्साणं जाव गो०! पंच सरीरापं०२०-ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए, वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं, केवइया णं भंते! ओरालिअसरीरा पं०?, गो०! दुविहा पं० २०-बद्धलगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ गंजे ते बद्धेल्लगाते णं असंखिज्जा असंखिज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ असंखेज्जा लोगा, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लगा ते णं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ अणंता लोगा दवओ अभवसिद्धिएहिं अणंतगुणा सिद्धाणं अणंतभागो। केवइआणं भंते! वेविअसरीरा पं०?, गो०! दुविह। पं० २०-बद्धलया य मुक्केल्लयाय, तत्थ णं जे ते बद्धेलया ते णं असंखिज्जा असंखेजाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ खेत्तओ ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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