Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 110
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir परसभए आधविज्जइ जाव उवदंसिज्जइ, सेतं परसमयवत्तव्वया, से किं तं ससमयपरसमयवत्तव्व्या ?, २ जयणं ससमए परसमए आधविज्जइ जाव उवदंसिजइ, से तं ससमयपरसमयवत्तव्वया, इयाणिं कोणओ कं वत्तव्वयं इच्छइ?, तत्थ णेगमसंगहववहारा तिविहं वत्तव्वयं इच्छंति, तं० ससमयवत्तव्वयं परसमयवत्तव्वयं ससमयपरसमयवत्तव्वयं, उज्जुसुओ दुविहं वत्तव्वयं इच्छइ, तं०ससमयवत्तव्वयं परसम्यवत्तव्वयं, तत्थ णं जा सा ससमयवत्तव्वया सा ससमयं पविठ्ठा जा सा पसमयवत्तव्वया सा परसमयं पविद्वा, तम्हा दुविहा वत्तव्बया, नस्थि तिविह। वत्तव्वया, तिण्णि सद्दणया एगं ससमयवत्तव्वयं इच्छंति, नत्थि पसमयवत्तव्वया, कम्हा?, जम्हा परसमए अणटे अहेऊ असब्भावे अकिरिए उम्मग्गे अणुवएसे मिच्छादसणमितिकटु, तम्हा सव्वा ससमयवतव्वया, णत्थि परसमयवत्तव्वया णत्थि ससमयपरसमयवत्तव्वया, सेतं वत्तव्वया १४७१से किं तं अस्थाहिगारे?, २ जो जस्स अझयणस्स अत्थाहिगारो, तं०-सावज्जजोगविरई उक्कित्तण गुणवओ य पडिवत्ती। खलियम्स निंदणा वणतिगिच्छ गुणधारणा चेव ॥१२३॥ से तं अत्थाहिगारे १४८१ से किं तं समोयारे?, २ छविहे पं० ०-णामसमोआरे ठवणा० दव० खेत्त० काल० भावसमोआरे, नामठवणाओ पुव्वं वणियाओ, जाव से तं भविअसरीरदव्वसमोआरे, से किं तं जाणयसरीरभविअसरीरवइरित्ते दव्वसमोआरे?, २ तिविहे पं० २०-आय समोयारे परसमोयारे तदुभयसमोयारे, सव्वदव्वाविणं आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोआरेणं | जहा कुंडे बदराणि, तदुभयसमोआरेणं जहा घरे खंभो आयभावे य, जहा घडे गीवा आयभावे य, अहवा जाणयसरीरभविय॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र ।। पू. सागरजी म. संशोषिता For Private And Personal

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