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भणाहि भइयव्वो पएसो, भणाहि धमे पएसे से पएसे धमे, अहम्मे पएसे से पएसे अहम्मे, आगासे पएसे से पएसे आगासे, जीवे पएसे से पएसे नोजीवे, खंधे पएसे से पएसे नोखंधे, एवं वयं सहनयं समभिरूढो भणइ जंभणसि धमे पएसे से पएसे धभ्मे जाव जीवे पएसे से पएसे नोजीवे खंधे पएसे से पएसे नोखंधे, तं न भवइ, कम्हा?, इत्थं खलु दो समासा भवंति, तं०तप्पुरिसे य कम्मधारए य, तं ण णजइ क्यरेणं समासेणं भणसि?, किं तप्पुरिसेणं किं कम्मथारएणं?, जइ तप्पुरिसेणं भणसि तो मा एवं भणाहि, अह कम्मधारएणं भणसि तो विसेसओ भणाहि, धमे य से पएसे य से पएसे धमे अहम्मे य से पएसे य से पएसे अहम्मे आगासे य से पएसे य से पएसे आगासे जीवे य से पएसे य से पएसे नो जीवे खंधे य से पएसे य से पएसे नोखंथे, एवं वयं समभिरूढं संपइ एवंभूओ भणइज जं भणसि तं तं सव्वं कसिणं पडिपुण्णं निरवसेसं एगगहणगहियं, देसेऽवि मे अवत्थू पएसेऽवि मे अवत्थू, से तं पएसदिटुंतेणं, से तं नयप्पमाणे॥१४५१ से किं तं संखप्पमाणे?, २ अट्ठविहे पं० तं०-नामसंखा ठवण दव्व० ओवम्म परिमाण जाणणा० गणणा० भावसंखा, से किं तं नामसंखा?, २ जस्स णं जीवस्स वा जाव से तं नामसंखा, से किं तं ठवणसंखा?, २ जणं कट्ठकम्मे वा पोत्थकम्मे वा जाव से तं ठवणसंखा, नामठवणाणं को पइविसेसो?, नाम( पाएणं आवकहियं ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा होजा, से किं तं दव्वसंखा?, २ दुविहा पं००-आगमओ य नोआगमओ य, जाव से किं तं जाणयसरीरभविअसरीरवइरित्ता दव्वसंखा?, २ तिविहा पं००-एगभविए ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र॥]
पू. सागरजी म. संशोधित
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