Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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से किं तं ' जुत्ताणंतए?, २ तिविहे पं० तं०-जहण्णए उक्कोसए अजहण्णम०, से किं तं अनंताणंतए ?, २ दुविहे पं० तं०जहण्णए अजहण्णमणुक्कोसए, जहण्णयं संखेज्जयं केवइयं होइ ?, दोरूवयं, तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाई ठाणाई जाव उकोसयं संखेज्जयं न पावइ, उक्कोसयं संखेज्जयं केवइयं होइ ?, उक्कोसयस्स संखेज्जयस्स परूवणं करिस्सामि से जहानामए पले सिया एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसं जोयणसए तिष्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस य अंगुलाई अर्द्धगलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पं०, से णं पल्ले सिद्धत्थयाणं भरिए, तओ णं तेहिं सिद्धत्यएहिं दीवसमुद्दाणं उद्धारो घेष्पड़, एगो दीवे एगो समुद्दे एवं पक्खिप्पमाणेहिं २ जावइआ दीवसमुद्दा तेहिं सिद्धथएहिं अप्फुत्रा एस णं एवइए खेत्ते पल्ले आइडे, से णं पल्ले सिद्धत्थयाणं भरिए ततो णं तेहिं सिद्धत्यएहिं दीवसमुद्दाणं उद्धारे घेण्पति एगे दीवें एगे समुद्दे एवं पक्खिपमाणेहिं २ जावइयाणं (दीव) समुद्दा णं तेहिं सिद्धत्थएहिं अप्फुत्रा एस णं एवतिए | खेते पल्ले पढमा सलागा०, एवझ्याणं सलागाणं असंलप्पा लोगा भरिया तहावि उक्कोसयं संखेज्जयं न पावड़, जहा को दिट्ठतो?, से जहानामए मंचे सिया आमलगाणं भरिए तत्थ एगे आमलए पक्खित्ते सेऽवि माते अन्नेऽवि पविखत्ते सेऽवि माते अण्णेऽवि | पक्खिने सेऽवि माते एवं पक्खिप्पमाणेणं २ होही सेऽवि आमलए जंसिं पक्खित्ते से मंचए भरिज्जिहि जे तत्थ आमलए न माहिइ, एवामेव उक्कोसए संखेज्जए रूवे पक्खित्ते जहण्णयं परित्तासंखेज्जयं भवड़, तेण परं अजहण्णमणुकोसयाइं ठाणाई जाव ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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