Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Arachana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shn Kailashsagarsur Gyanmandir
अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव निट्ठिए भवइ से तं वावहारिए खेत्तपलिओवभे, एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी०॥ तं ववहारियस्स खेत्तसाग० ॥११३॥ एएहिं वावहारिएहिं खेत्तपलिओवमसागरोवमेहिं किं पओयण? एएहिं वा० नत्थि किंचिप्पओयणं, केवलं पण्णवणा पण्णविज्जइ, से तं वाव०, से किं तं सुहमे खेत्तपलिओवमे?, २ से जहाणाभए पल्ले सिया जोयणं आयाम जाव परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहियबेआहियतेआहियजावभरिए वालग्गकोडीणं, तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिज्जाई खंडाई कज्जइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीओगाहणाओ असंखेज्जइभागमेत्ता सुहमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेजगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेज्जा जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेजा, जे णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना वा अणाफुण्णा वा तओ णं समए २ एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव णिट्ठिए भवइ, से तं सुहमे खेत्तपलिओवमे, तत्थ णं चोयए पण्णवगं एवं वयासी अस्थि णं तस्स पालस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणफुण्णा?, हंता अस्थि, जहा को दिटुंतो?, से जहाणामए कोढए सिया कोहंडाणं भरिए तत्थ णं माउलिंगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बिल्ला पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं आमलगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्य णं बय। ५० तेवि माया, तत्थ णं चणगा ५० तेवि माया, तत्थ णं मुग्गा पक्खि०, तत्थ णं सरिसवा ५०, तत्थ णं गंगावालुया पक्खित्ता सावि माया, एवमेव एएणं दिटुंतेणं अस्थि णं तस्स पल्लस्सआगासपएसा जेणं तेहिं वालग्गेहिं अणाप्फुण्णा एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी०।। ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र।
[७७
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123