Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 101
________________ Sin Mahar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsun Gyanmandir ओहिदसणं ओहिदंसणिस्स सव्वरूविदव्वेसुन पुण सव्वपज्जवेसु केवलदसणं केवलदंसणिस्स सव्वदव्वेसु य सव्वपनवेसु य, ||से तं दंसणगुणप्यमाणे, से किं तं चरित्तगुणप्पमाणे ?, २ पंचविहे पं० २०-सामाइअचरित्तगुणप्पमाणे छेओवट्ठावण. परिहारविसुद्धिय० सुहमसंपराय० अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे, सामाइअचरित्तगुणप्यमाणे दुविहे पं० २०-इत्तरिए य आवकहिए य, छेओवट्ठावणचरित्तगुणप्यमाणे दुविहे पं० २०-साइआरे य निरइयारे य, परिहारविसुद्धिअचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पं० २०णिव्विसमाणए यणिविट्ठकाइए य, सुहमसंपरायचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पं०२०-पडिवाईयअपडिवाई य,अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पं० तं०-छउमथिए र केवलिए य, से तं चरित्तगुणप्यमाणे, से तं जीवगुणप्पमाणे, से तं गुणप्यमाणे॥१४४। से किं तं नयप्पमाणे?, २ तिविहे पं० २०-पत्थगदिद्रुतेणं वसहिदिटुंतेणं पएसदिटुंतेणं, से किं तं पत्थगदिटुंतेणं?, २ से जहानाभए केई पुरिसे परसुंगहाय अडवीसमहत्तो गच्छेज्जा तं पासित्ता केई वएज्जा कहिं भवं गच्छसि?, अविसुद्धो नेगमो भणइ पत्थगस्स गच्छामि, तं च केई छिंदमाणं पासित्ता वएज्जा किं भवं छिंदसि?, विसुद्धो नेगमो भणइ पत्थयं छिंदामि, तं च केई तच्छमाणं पासित्ता वएजा किं भवं तच्छसि ?, विसुद्धतरओणेगमो भणइ पत्थ्यं तच्छामि,तंच केई उक्कीरमाणं पासित्ता वएज्जा किं भवं उक्कीरसि?, विसुद्धतरओ णेगमो भणइ पत्थयं उकीरामि, तं च केई (वि) लिहमाणं पासित्ता वएज्जा किं भवं (वि) लिहसि?, विसुद्ध तरओ णेगमो भणइ पत्तयं (वि) लिहामि, एवं विसुद्धतरस्स णेगमस्स नामाउडिओ पत्थओ, एवमेव ववहारस्सवि, संगहस्स ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र ॥] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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