Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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गब्भवईतियचउप्पयथलयरपंचिंदिय जाव गो०! जह० अंतो उक्को० तिणि पलिओवमाइं, अपज्जत्तगगब्भवक्कंतियचउम्पयथलयरपंचिंदियजाव गो०! जहणणेण उकूकोसेणवि अंतो०, पज्जत्तगगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियजाव गो०! जह० अंतो० उको० तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई, उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियपुच्छा, गो०! जह० अंतो० उक्को० पुवकोडी संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियपुच्छा, गो०! जह० अंतो० उक्को० तेवनं वाससहस्साई, अपज्जत्तयसंमुच्छिभरपरिसप्पथलयरपंचिंदिय जाव गो०! जहणणेणवि अं० उक्कोसेणवि अंतो०, पजत्तयसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियजाव गो०! जह० अंतो० उक्को. तेवण्णं वाससहस्साइं अंतोमुत्तूणाई, गब्भवतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियजाव गो०! जह० अंतो० उक्को० पुवकोडी, अपजत्तगगब्भववंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियजाव गो०! जहन्त्रेण उक्कोसेणविअंतो०, पजत्तयगब्भवतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियजाव गो०! जह० अंतो० उक्को० पुवकोडी अंतोमुहत्तूणा, भुअपरिसप्पथलयरपंचिंदियजाव गो०! जहण्णेण अंतो० उकोसेणं पुव्वकोडी, संमुच्छिमभुयपरिसप्पथल?, गो०! जह० अंक उछो० बायालीसं वाससहस्साई अपजत्तयसंमुच्छिम्भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदिय जाव गो०! जह० उको० अंतो०, पजत्तगसंमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियजाव गो०! जह० अंतो० उछो० बायालीसं वाससहस्साई अंतो०, गब्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदिय जाव गो०! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी, अपजत्तयगब्भवक्कंतियभूयपरिसप्पथलयरपंचिंदिय जाव गो०! जहन्त्रेण उकोसेणवि अंतो०, पज्जत्तयगब्भवतियभुयपरिसप्प॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र
यू. सागरजी म. संशोधित ||
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