Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 85
________________ Sh Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailashsagarsur Gyanmandt दस वाससहस्साई उक्को० अद्धपलिओवर्म, जोइसियाणं भंते! देवाणं केवइ०?, गो०! जह० सातिरेगं अट्ठभागपलिओवभ उदो० पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं, जोइसियदेवीणं भंते! केवइ०? गो०! जहन्त्रेणं अट्ठभागपलिओवर्म उकोसेणं अद्धपलिओवर्म पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, चंदविमाणाणं भंते! देवाणं केव०?, गो०! जह० चउभागपलिओवभ उको० पलिओवभ वाससयसहस्समब्भहियं, चंदविमाणाणं भंते! देवीणं?, गो०! जह० चउभागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, सूरविभाणाणं भंते! देवाणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवभ उक्को० पलिओवमं वाससहस्समब्भहियं, सूरविमाणाणं देवीणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवमं उक्को० अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिं अब्भहियं, गहविमाणाणं देवाणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवमं उदो० पलिओवर्म, गहविमाणाणं भंते! देवीणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवर्म उको० अद्धपलिओवर्म, णक्खत्तविभाणाणं भंते! देवाणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवम् उक्को० अद्धपलिओवर्म, णक्खत्तविभाणाणं भंते! देवीणं०?, गो०! जह० चउभागपलिओवम उक्को० सातिरेगं चउभागपलिओवभ, ताराविमाणाणं भंते!०?, गो०! जह० साइरेगं अट्ठभागपलिओवर्म उक्को० चउभागपलिओवभ, ताराविमाणाणं देवीणं भंते! केवइयं०?, गो०! जह० अट्ठभागपलिओवम उक्को० साईरेगं अट्ठभागपलिओवमं, वेमाणियाणं भंते! देवाणं केव० पं०?, गो०! जह० पलिओवर्म उक्को० तेतीसं सागरोवमाइं, वेमाणियाणं भंते! देवीणं केवइ० पं०?, गो०! जह० पलिओवम उक्को. पणपण्णं पलिओवभाई, ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र] | ७४ ५. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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