Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 68
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsun Gyanmandir देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ठ देवकुरुउत्तरकुरुणं मणुआणं वालग्गा हरिवासरभ्मगवासाणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट हरिवस्सरभ्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ट हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं वालग्गा पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अद्ध पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा भरहएरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अह भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ, अट्ठ जूआओ एगे जवमझे, अट्ठ जवमझे से एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेण छ अंगुलाई पादो बारस अंगुलाई विहत्थी चवीसं अंगुलाई रयणी अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छत्रवई अंगुलाई से एगे दंडेइ वा धणूइ वा जुगेइ वा नालिआइ वा अक्खेड़ वा मुसलेइ वा, एएणं धणुप्पमाणेणं दो घणुसहस्साई गाउअंचत्तारि गाउआइंजोअणं, एएणं उस्सेहंगुलेणं किं पओअणं?, एएणं उस्सेहंगुलेणं णेरइअतिरिक्खजोणियमणुस्सदेवाणं सरीरोगाहणा भविज्जति, णेरइआणं भंते! केमहालिआ सरीरोगाहणा पं०?, | गोयमा! दुविहा ५० तं-भवधारणिज्जा य उत्तरवेविआ य, तत्थ् णं जा सा भवधारणिज्जा सा णं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं पंच घणुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविआ सा जहण्णेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उन्कोसेणं धणुसहस्सं, रयणप्पहाए पुढवीए नेइआणं भतः केपहालिआ सरीरोगाहणा पं० ?, गो०! दुविहा पं० २०-भवधारणिज्जा य उत्तवेउव्विआय, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहन्त्रेणं अंगुली असंखिजइभागं उक्कोसेणं सत्त धणूइं तिण्णि रयणीओ ॥ श्री अनुयोगद्वारसूत्र। पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal

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